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सीकर में सहकारी बैंकों ने हजार खाताधारकों से वसूले 30 करोड़ रुपए , किसानों की कर्जमाफी की सरकारी घोषणा सिर्फ खोखली

locationसीकरPublished: Mar 14, 2018 09:38:10 am

Submitted by:

vishwanath saini

इससे सरकार के प्रति किसानों का रोष बढ़ता जा रहा है।

farmer

सीकर. सरकार की ओर से बजट घोषणा में सहकारी बैंकों के किसानों के 50 हजार रुपए तक के कर्जमाफी की घोषणा थोथी साबित हो रही है। बजट घोषणा के बाद वाह-वाही लूटने वाली सरकार एक माह बाद भी बैंकों को ऋण वसूली की गाइडलाइन तक नहीं दे पाई है और न ही ओवरड्यू की तिथि बढ़ाई है। ऐसे में सहकारी बैंक ऋण माफी के दायरे में आने वाले कर्जदार किसानों से बकाया ऋण की वसूली कर रहे हैं। बजट घोषणा के बाद अकेले सीकर जिले में हजार खाताधारकों से 30 करोड़ रुपए से ज्यादा की वसूली हो चुकी है और बैंक ने रबी सीजन के लिए 130 करोड़ रुपए का ऋण बांट दिया है। प्रदेश में ऋण वसूली का आंकड़ा कई गुना ज्यादा है। इससे सरकार के प्रति किसानों का रोष बढ़ता जा रहा है। हालांकि बैंक प्रबधंन इस वसूली को 31 मार्च से पहले ब्याज दर नियमित प्रक्रिया बता रहा है। प्रदेश में 29 केन्द्रीय सहकारी बैंक हैं।


यूं समझे परेशानी
एक किसान ने खरीफ सीजन के लिए 70 हजार रुपए का ऋण ले रखा है। यह ऋण 31 सितम्बर को ओवर ड्यू था। और सरकार की बजट घोषणा के दौरान यह किसान ब्याज और कर्ज माफी की पात्रता के दायरे में आ रहा था। अब यह ऋण मार्च 2018 में जमा कराने पर यह बकाया निल हो जाएगा। कर्जमाफी के लिए सरकार लोन खाते में जमा कराती है। लेकिन बकाया निल होने की स्थिति में यह पैसा सरकार किसान तक कैसे पहुंचाएगी। इस कारण विवाद की स्थिति फिर पैदा हो जाएगी।


बैंक का तर्क
यह सही है कि सरकार की ओर से कर्ज माफी को लेकर कोई गाइड लाइन नहीं मिली है। वैसे आमतौर पर बजट घोषणा हर बार नए साल से ही लागू होती है। कर्जमाफी के दायरे में खरीफ का लोन था जो 31 मार्च 2018 को जमा होना है। यह ऋण जमा नहीं होने की स्थिति में किसान ब्याज की छूट नहीं मिलेगी। खरीफ का बकाया जमा होने के बाद ही रबी की ऋण दिया जा सकता है।
– मनोहरलाल शर्मा, एमडी, सीकर केन्द्रीय सहकारी बैंक


केवल 96 हजार किसानों के नाम ही भेजे
राज्य सरकार ने फरवरी के बजट सत्र में सहकारी बैकों के लघु व सीमांत किसानों के पचास हजार तक के एक बारीय ऋण माफ करने की घोषणा की थी। इसके लिए एपेक्स बैंकों ने सभी सहकारी बैंकों से पात्र किसानों की सूची मांगी थी। जिसकी एवज में जिले के 96 हजार किसानों के नाम भेज दिए थे। इसके बाद किसानों के विरोध को देखते हुए सरकार पूरक घोषणा में लघु व सीमांत कृषक की बजाए सहकारी बैंकों के सभी किसानों को इस दायरे में शामिल करने की घोषणा की। लेकिन सहकारी बैेंकों से कोई सूची नहीं मांगी है।

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