यूं समझे परेशानी
एक किसान ने खरीफ सीजन के लिए 70 हजार रुपए का ऋण ले रखा है। यह ऋण 31 सितम्बर को ओवर ड्यू था। और सरकार की बजट घोषणा के दौरान यह किसान ब्याज और कर्ज माफी की पात्रता के दायरे में आ रहा था। अब यह ऋण मार्च 2018 में जमा कराने पर यह बकाया निल हो जाएगा। कर्जमाफी के लिए सरकार लोन खाते में जमा कराती है। लेकिन बकाया निल होने की स्थिति में यह पैसा सरकार किसान तक कैसे पहुंचाएगी। इस कारण विवाद की स्थिति फिर पैदा हो जाएगी।
बैंक का तर्क
यह सही है कि सरकार की ओर से कर्ज माफी को लेकर कोई गाइड लाइन नहीं मिली है। वैसे आमतौर पर बजट घोषणा हर बार नए साल से ही लागू होती है। कर्जमाफी के दायरे में खरीफ का लोन था जो 31 मार्च 2018 को जमा होना है। यह ऋण जमा नहीं होने की स्थिति में किसान ब्याज की छूट नहीं मिलेगी। खरीफ का बकाया जमा होने के बाद ही रबी की ऋण दिया जा सकता है।
– मनोहरलाल शर्मा, एमडी, सीकर केन्द्रीय सहकारी बैंक
केवल 96 हजार किसानों के नाम ही भेजे
राज्य सरकार ने फरवरी के बजट सत्र में सहकारी बैकों के लघु व सीमांत किसानों के पचास हजार तक के एक बारीय ऋण माफ करने की घोषणा की थी। इसके लिए एपेक्स बैंकों ने सभी सहकारी बैंकों से पात्र किसानों की सूची मांगी थी। जिसकी एवज में जिले के 96 हजार किसानों के नाम भेज दिए थे। इसके बाद किसानों के विरोध को देखते हुए सरकार पूरक घोषणा में लघु व सीमांत कृषक की बजाए सहकारी बैंकों के सभी किसानों को इस दायरे में शामिल करने की घोषणा की। लेकिन सहकारी बैेंकों से कोई सूची नहीं मांगी है।