script45 फीट के रावण का होगा दहन | 45 feet long ravan Destroyed in sikar | Patrika News

45 फीट के रावण का होगा दहन

locationसीकरPublished: Oct 06, 2019 02:07:43 am

Submitted by:

Narendra

रावण का 67वां पुतला तैयार

45 फीट के रावण का होगा दहन

45 फीट के रावण का होगा दहन

सीकर. शहर के रामलीला मैदान में विजय दशमी के अवसर पर 45 फीट ऊंचे रावण के पुतले का 67 वीं बार दहन होगा। सीकर में सांस्कृतिक मंडल की स्थापना और शुरूआत रावण के दहन से ही हुई है। सर्वप्रथम 1953 में रावण जलाकर राव राजा कल्याण सिंह से एक बगी मांगकर भगवान राम की सवारी निकाली गई थी। सांस्कृतिक मंडल के मंत्री जानकी प्रसाद इंदौरिया ने बताया कि उस समय रावण के पुतले की ऊंचाई करीब 15 फीट थी। पहला रावण एक स्थानीय व्यक्ति ने कपड़े से तैयार किया था।
भगवान श्रीराम की निकलेगी शोभायात्रा
भगवान श्रीराम की शोभायात्रा बावड़ी गेट स्थित रघुनाथ मंदिर से शाम छह बजे रवाना होगी। शोभायात्रा शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए रामलीला मैदान पहुंचेगी। रावण दहन के बाद विभीषण का राज्याभिषेक होगा। इसके बाद हनुमान अशोक वाटिका से माता सीता को लाएंगे। जहां वे श्रीराम से मिलेगी। रैवासा के पीठाधीश्वर राघवाचार्य महाराज भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक करेंगे।
सुरक्षा का डबल घेरा बनेगा
रामलीला मैदान में इस बार सुरक्षा की दृष्टि से पुतले से 50 से 60 फीट की दूरी पर डबल घेरा बनाया जाएगा। रावण दहन के समय आतिशबाजी को ध्यान में रखते हुए इसी प्रकार कई सुरक्षा के इंतजाम होंगे। इस बार पटाखों की लड़ी का उपयोग भी पुतले में नहीं किया जाएगा। इसके अलावा इस बार पुतले के चारों ओर लाइटिंग का उपयोग भी कम करते हुए रोशनी वाले पटाखों का उपयोग ज्यादा किया जाएगा।
पुतले तैयार करने में साम्रगी का उपयोग
50 से अधिक बांस, 50 के करीब बोरी की टाट (पल्ली) मेदा की ल्याही (गोंद), 10 किलोग्राम तक जीआइ तार, 15 किलोग्राम रद्दी, रंग-बिरंगी अरबी पन्नी, चार से पांच प्रकार का पेंट कलर, 5 किलोग्राम बारीक रस्सी एवं सूतली व पटाखों के साथ रावण का पुतला तैयार किया जाता हैं।
15 साल से एक कारीगर कर रहा पुतला तैयार
खंडेला निवासी भवानी शंकर अपने परिवार के साथ मिलकर पिछले 15 साल से विजय दशमी पर रावण का पुतला तैयार कर रहा हैं। 15 दिन की कड़ी मेहनत के बाद रावण का जो पुतला तैयार होता है, उसे देखने के लिए शहर के साथ आस- पास के इलाकों से हजारों लोग रामलीला मैदान पहुंचते हैं। शंकर का कहना है कि पुतला तैयार करने का काम हमारा पुश्तैनी है। मेरे तीन बेटे पढ़ाई के साथ-साथ मेरे काम में हाथ बंटाते हैं।
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