अस्पताल में बायोवेस्ट के अलावा साफ सफाई पर हर महिने लाखों रुपये खर्च किये जा रहे है। लेकिन धरातल पर नजर डालकर देखा जाये तो वार्ड व अस्पताल परिसर में चारों तरफ गंदगी फैली हुई है।
आंकड़ों पर नजर डाली जाये तो अस्पताल में ठेकेदार के 12 सफाई कर्मचारी काम करते हैं। जिनका अस्पताल हर माह 81 हजार रुपये के लगभग भुगतान करता हैं। ठेकेदार द्वारा हर माह केवल 892 रुपये ही अस्पताल में भारी,पौचा,फिनाइल जैसी सामग्री में लगाया जा रहा है। अस्पताल को देखते हुए ठेकेदार द्वारा सामग्री की ये राशि बहुत ही कम है।
दुर्गंध के कारण हाल बेहाल
जहां पर बायोवेस्ट के ढेर लगे हुए है। उसके कुछ ही दूर पर मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा केन्द्र स्थित है। ऐसे में वहां बैठने वाले कर्मचारी व दवा लेने के लिए आने वाले डीडीसी के फार्मासिस्टों का जीना मुश्किल हो रहा है। लोगों को अपनी नाक बंद करके दवा लेने एवं यहां से गुजरने को मजबूर होना पड़ रहा है।
बायोवेस्ट को नष्ट करने का है नियम
सरकार ने हर जिला मुख्यालय पर बने अस्पताल एवं चिकित्सा केन्द्रों से बायोवेस्ट कचरा उठाने के लिए निजी कम्पनियों को ठेका दिया हुआ है। संबधित कम्पनियों के प्रतिनिधि अस्पतालों में गाड़ी लेकर पहुंचते है तथा कचरे को ढककर ट्रीटमेन्ट प्लांट पर ले जाकर उसे नष्ट करना होता है। वहीं यदि ऐसा नहीं है तो इस कचरे को एक गड्डे में डाल कर जला कर उसे मिट्टी में दबाने का होता है। लेकिन यहा तो कंपनी की मनमर्जी के चलते अस्पताल प्रशासन को परेशान होना पड़ रहा है।