करोड़ों की फसलों पर संकट
पीले रंग की गुलाबी पंख वाली ऐसी टिड्डियां व्यस्क होने पर फसलों और वनस्पति को ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है। नागौर और चूरू से आने वाले ये दल इतने बडे हैं कि दल की आहट से संबंधित इलाके में अनजाना खौफ सता रहा है। किसानो ने बताया कि करीब ढाई दशक बाद पहली बार ये टिड्डी सीकर जिले में पहुंची है और ये संकट मानसून के आने तक चल सकता है। समय रहते इन पर काबू नहीं पाया जाता है तो ये करोडों रुपए की फसल को चट कर जाएगी।
एक माह से बना हुआ खतरा
प्रदेश में पिछले महीने से लगातार टिड्डी दल के हमले हो रहे हैं। इस खतरे को देखते हुए सरकार ने टिड्डी नियन्त्रण पर काम तो किया, लेकिन खतरा अभी भी पूरी तरह मिटा नहीं है। टिड्डी नियन्त्रण दल की अब तक की कार्रवाई के दौरान टिड्डियों को तो बड़ी संख्या में मार दिया है, लेकिन अब व्यस्क हो चुकी टिड्डी एक बार बैठने के बाद अंडे दे देगी। जिससे इनकी संख्या फिर बढऩे का खतरा है।
किसानो से मांगी मदद
टिड्डी की संख्या पर नियंत्रण के लिए कृषि विभाग ने किसानों की मदद मांगी है जिससे इतनी बडी आपदा से निपटा जा सके। कृषि उपनिदेशक एसआर कटारिया ने बताया कि टिड्डी दल आमतौर पर रात्रि आठ बजे से बैठना शुरू कर देता है और नियंत्रण भी पड़ाव वाली जगह ही किया जा सकता है। ऐसे में किसान पड़ाव स्थल की जानकारी रखें और समूह में रहकर इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए खेतों में पीपे, थाली और अन्य तेज आवाज वाले साधनों का इस्तेमाल करें। खडी फसल के पास हवा की दिशा से कचरे को थोडा-थोडा जलाकर धुंआ करें। फसलों और सब्जियों को नुकसान से बचाने के लिए क्लॉरोपॉयरीफॉस 50 ईसी का स्प्रे करे।