पूने से फोन पर अद्वैत के दादा राधेश्याम भरतिया ने बताया कि अद्वैत अपनी मम्मी के साथ सुबह छह बजे बेस कैम्प के लिए रवाना होता और शाम छह बजे तक चढ़ाई तय करता। 13 दिन तक यह सिलसिला चलता रहा। इतना ही नहीं सात साल का अद्वैत सात भाषाओं में भी पारंगत है। वह हिन्दी, अंग्रेजी, स्पेन, जर्मनी, मराठी, चाइनीज तथा राजस्थानी भाषा बखूबी बोल लेता है।
मूल रूप से फतेहपुर के अद्वैत संगीत कला में भी माहिर है। राधेश्याम भरतिया बताते हैं कि अद्वैत की मम्मी पायल पर्वतारोही है। इसी कारण अद्वैत को इसका शौक लगा और इतनी छोटी सी उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर ली।
उल्लेखनीय है कि अद्वैत का परिवार फतेहपुर का मूल निवासी है। यहां उसके दादा, पड़दादा ने भरतिया अस्पताल सहित कई जनकल्याण के कार्य करवाए हैं।