मिलेगी तकनीकी मदद विभाग की ओर से एक हेक्टेयर के प्रत्येक प्रदर्शन के लिए किसानों को प्रमाणित बीज, राइजोबियम कल्चर, बीज, जैविक उर्वरक सहित तकनीकी सहायता दी जाएगी। ये है कारण सीकर कृषि खंड के सीकर व नागौर जिले में पिछले पन्द्रह वर्षों के दौरान मूंग, मोठ, चंवळा की औसत से भी कम क्षेत्र में बुवाई हो रही है। दलहन का अधिकांश बुवाई क्षेत्र बारानी है। कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि बारानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए किसान बीजो उपचार नहीं करते हैं, इस कारण दलहनी फसलें रोग कीट की आसानी से चपेट में आ जाती है। यही कारण है कि पिछले पन्द्रह वर्ष के औसत की तुलना में मूंग की बुवाई 1293 हेक्टेयर में कम हुई है। इसके अलावा दलहन के अन्य फसलों से कम भाव रहने के कारण सिंचित क्षेत्रों में बुवाई करने वाले किसानों का कम रूझान है।
इनका कहना है यह सही है कि पिछले करीब डेढ दशक में जिले में दलहन का बुवाई क्षेत्र लगातार घटता जा रहा है। इससे दाल के भावों में तेजी आ रही है। निदेशालय ने इस बार अन्य वर्षों की तुलना में दलहन की फसलों पर अधिक जोर दिया गया है। इसके तहत प्रदर्शन लगाए जाएंगे साथ ही मूंग के निशुल्क किट भी बंटेंगे
– एसआर कटारिया, उपनिदेशक कृषि