ठेहट की हत्या के लिए तस्करी से कमाए साठ लाख
तस्करी के इस गिरोह का सरगना मनोज नेहरा है। पूछताछ में सामने आया है कि तीन माह में मादक पदार्थ तस्करी से उसने 60 लाख रुपए मुनाफा कमाया है। यह पैसा वह Raju Thehat की हत्या के लिए एकत्र कर रहा था। मनोज खुद की बड़ी गैंग बनाने के प्रयास में था। उसने नितेश, गोगराज और अशोक को कुछ समय पहले ही गैंग में शामिल किया था। मनोज सीकर में हुए बीरबल बासनी हत्याकांड के बाद से ही आनंदपाल गिरोह से जुड़ गया था। आनंदपाल और उसके साथियों द्वारा बीकानेर जेल में वर्ष 2014 में जयप्रकाश और रामपाल (राजू ठेठ गैंग के सदस्य) की हत्या के मामले में आरोपी मनोज कुमार नेहरा भी सहअभियुक्त था। बीरबल बासनी हत्याकांड के बाद वर्ष 2010 से दिसम्बर 2020 तक जेल में बंद रहा। 2000 रुपए का इनामी मनोज कुमार नेहरा ने अपने चार अन्य साथियों के साथ मिलकर अप्रेल 2021 में चौमूं निवासी अर्जुन सोनी के आभूषण शोरूम पर डाका डाला था। डाका डालने के मामले में चौमूं थाना पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी। आनंदपाल और बलवीर बानूड़ा की मौत होने के बाद से आरोपी मनोज अब खुद की गैंग बनाना चाहता था। इसके लिए सुरेन्द्र सिंह जाट के साथ नवम्बर 2021 से मादक पदार्थ तस्करी में जुट गया। आनंदपाल के सहयोगी रहे बलबीर बानूड़ा का सुरेन्द्र सिंह रिश्तेदार है। वह पहले बजरी की तस्करी में लिप्त था। लेकिन मनोज के सम्पर्क में आने के बाद मादक पदार्थ की तस्करी में जुड़ गया।
बीकानेर जेल में हुई थी गैंगवार
पुलिस ने बताया कि बीकानेर जेल में आनंदपाल और उसके साथी बलवीर बानूड़ा, गणेशदान चारण, सरपंच सीथल, विक्रम सिह, भवानी सिंह, दातार सिंह, मुकेश सरपंच, नेमीचंद माली और दूसरे पक्ष में राजू ठेठ का रिश्तेदार जयप्रकाश जाजू, रामपाल व अन्य सदस्य थे। जेल में जयप्रकाश व रामपाल ने 24 जुलाई 2014 की शाम को आनंदपाल व उसके साथियों पर फायरिंग कर दी थी। इस घटना में गोली लगने से बलवीर बानूड़ा की मौत हो गई थी। इस पर आनंदपाल, मनोज कुमार नेहरा और इनके अन्य साथियों ने रामपाल व जयप्रकाश की हत्या कर दी थी।
120 से 150 की रफ्तार में दौड़ा रहे थे वाहन
एडिशनल डीसीपी रामसिंह शेखावत ने बताया कि 15 फरवरी की तड़के मुखबिर से सूचना मिली कि चित्तौडगढ़़ से दो कार सवार तस्कर डोडा पोस्त लेकर जयपुर की तरफ आ रहे हैं। इनके पास हथियार है। सूचना पर तस्करों को पकडऩे के लिए दो एसीपी और चार निरीक्षकों के नेतृत्व में 50 पुलिसकर्मियों की दो टीम बनाई गई और ऑपरेशन 200 फीट नाम रखा गया। अजमेर रोड 200 फीट पर एक टीम तैनात की गई। तस्करों को बचने का मौका नहीं मिले, इसके लिए दूसरी टीम कुछ दूर तैनात की गई। सुबह पांच बजे तस्करों की स्कार्पियो 120 से 150 की रफ्तार में आती नजर आई। पहली टीम ने स्कार्पियो को रोकने का प्रयास किया, लेकिन तस्कर वाहन भगा ले गए। सूचना पर दूसरी टीम ने सड़क पर ट्रक खड़े करवाकर स्कार्पियो सवार तस्करों को घेराबंदी कर पकड़ा। तभी डोडा पोस्त से भरी कार आ गई और कार चालक ने पुलिस से बचने के लिए वाहन को डिवाइडर पर चढ़ा दिया। कार का टायर फटने से वह रुक गई तो उन्हें पकड़ लिया।
स्कार्पियो से एस्कोर्ट करते, फायर कर भाग जाते
तस्करों से जानकारी मिली है कि वे कार में डोडा पोस्त रखकर चलते और स्कार्पियो से उसे एस्कोर्ट करते। रास्ते में पुलिस नाकाबंदी देख एस्कोर्ट करने वाले तस्कर फायर कर वाहन भगा ले जाते हैं और पीछे कार सवार साथियों को अलर्ट कर देते। फिर पुलिस एस्कोर्ट वाले वाहन की तलाश में जुट जाती और कार को आसानी से निकालकर ले जाते। आरोपी चित्तौडगढ़़ से गंगानगर और पंजाब में मादक पदार्थ पहुंचाते हैं। वे 1800 रुपए प्रति किलो डोडा पोस्त खरीदकर 3000 से 3500 रुपए में बेचते हैं। आरोपियों से अन्य तस्करों के संबंध में पूछताछ जारी है।
इनका कहना है...
गैंगवार की आशंका के चलते पुलिस ऐसे अपराधियों पर लगातार नजर रखती है। उनकी गतिविधियों के साथ अपराध में सक्रियता पर भी हाइटेक तरीके से नजर रखी जाती है। यह कार्रवाई जयपुर में पुलिस ने की है। अभी तक किसी अपराधी ने अपनी जान की सुरक्षा की गुहार भी पुलिस के पास नहीं लगाई है।
कुंवर राष्ट्रदीप
पुलिस अधीक्षक, सीकर