आयुष्मान भारत योजना का निजी अस्पतालों में नहीं मिलेगा फायदा
-सरकारी अस्पतालों के भरोसे मरीज
-जिन बीमारियों के उपचार के लिए जाते थे निजी अस्पताल से वे पैकेज ही छीने

सीकर. प्रदेश में नए सिरे से लागू आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर इस बार आम आदमी को सुपर स्पेशियलिटी उपचार का फायदा नहीं मिलेगा। वजह है कि सामान्य प्रसव जैसे सामान्य बीमारियों के पैकेज को निजी अस्पतालों से लेकर सरकारी अस्पतालों को दे दिया। इससे सरकारी अस्पताल में कतारे लगनी शुरू हो जाएगी और आम आदमी को समय पर और बेहतर इलाज का सीधा फायदा नहीं मिलेगा।
योजना के नए नियमों के अनुसार निजी अस्पतालों के इस योजना से कम जुडऩे के कारण भी परेशानी आएगी। इससे पूर्व में संचालित योजना में करीब 1400 अस्पताल सम्बद्ध थे लेकिन अब इससे करीब पांच सौ अस्पताल ही जुड़े हैं। इसका असर भी आम आदमी पर होगा।
ये भी होगी परेशानी
यूरोलॉजिस्ट एवं शेखावाटी प्राइवेट हॉस्पिटल यूनियन के प्रवक्ता डा सुनील गोरा के अनुसार सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ को देखते हुए सरकार ने स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की, जिससे आम आदमी को सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में कैशलेस उपचार मिल सके। नई योजना में शर्त है कि निजी अस्पतालों में एक चिकित्सक तीन अस्पतालों में ही उपचार कर सकेगा। संबंधित बीमारी का मरीज उसी सुविधा वाले चौथे अस्पताल में चला जाता है, जहां वही चिकित्सक प्राइवेट विजिट कर रहा है तो वहां मरीज का क्लेम योजना में नहीं हो पाएगा। इसका मरीज को ही भुगतान करना होगा।
इससे सबसे ज्यादा परेशानी डायलिसिस, कीमोथैरेपी और हार्ट के मरीजों को होगी। इस नियम से नेफ्रोलॉजी, कैंसर, यूरोलॉजी, गेस्ट्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, हार्ट और नेफ्रोलॉजी के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी होगी।
सिंगल पैकेज के कारण परेशानी
निजी चिकित्सकों के अनुसार पूर्व में संचालित योजना में किसी सर्जरी के दौरान दूसरा कॉम्पलीकेशन होने पर अन्य सर्जरी को पैकेज में शामिल कर लिया जाता था। अब नई योजना में केवल एक बार में एक ही सर्जरी का प्रावधान कर दिया गया है। इससे मरीज को उसी जगह का दोबारा सर्जरी करवानी होगी। चिकित्सकों के अनुसार मरीज को बार-बार एनेस्थिसिया देकर सर्जरी का दंश भुगतना पडेगा।
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर बढऩे का खतरा
शेखावाटी प्राइवेट हॉस्पिटल एसोसिशन के संयोजक डा महेंद्र बुड़ानिया के अनुसार सरकारी अस्पतालों में लगभग 50 प्रतिशत प्रसव ही होते है जबकि शेष प्रसव योजना के तहत निजी अस्पतालों में निशुल्क हो रहे थे। अब निजी अस्पतालों से सामान्य प्रसव का पैकेज हटा दिया तो ऐसे में निजी अस्पताल प्रसूता को सरकारी अस्पतालों में रैफर करेंगे या मरीज मुंह मांगा भुगतान वहन करना होगा। ऐसे में दूरदराज से आने वाले मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पतालों के चक्कर लगाएंगे। इससे प्रसव या तो एम्बुलेंस में होगी या स्ट्रेचर पर। प्रसव के बाद जरूरत पडऩे पर नवजात को एनआईसीयू में भर्ती करने का पैकेज निजी अस्पताल से हटा दिया। ऐसे में सिजेरियएन होने पर निजी अस्पताल योजना के तहत नवजात का इलाज नहीं कर पाएंगे। इस परिस्थति में मरीज को इलाज के नकद भुगतान करना पडेग़ा या सरकारी अस्पताल में जाना होगा। इससे इलाज में देरी होने या सुविधा नहीं होने से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर भी बढ़ जाएगी।
मरीजों को होगी समस्या...
& आयुष्मान भारत योजना से संबद्ध अस्पतालों के पैकेज की जानकारी आम आदमी तक नहीं होने और सरकारी अस्पतालों में लंबी वेटिंग के कारण मरीजों को भटकना पड़ेगा। योजना की नई शर्तों के कारण गंभीर बीमारियों के मरीजों को सुपर स्पेशिलिटी चिकित्सकों की सुविधा नहीं मिल पाएगी। इससे मृत्युदर बढ़ेगी। यह मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होगा।
डॉ बीएल रणवा, अध्यक्ष प्राइवेट हॉस्पिटल एसोसिएशन
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