ये कारण भी बनेगा परेशानी यूरोलॉजिस्ट एवं शेखावाटी प्राइवेट हॉस्पिटल यूनियन के प्रवक्ता डा सुनील गोरा के अनुसार सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड को देखते हुए सरकार ने स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की जिससे आम आदमी को घर के पास सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में कैशलेस उपचार मिल सके लेकिन नई योजना में शर्त है कि निजी अस्पतालों में एक चिकित्सक तीन अस्पतालों में ही उपचार कर सकेगा संबंधित बीमारी का मरीज यदि उसी सुविधा वाले चौथे अस्पताल में चला जाता है जहां वही चिकित्सक प्राइवेट विजिट कर रहा है तो वहां मरीज का क्लेम योजना के तहत नहीं होगा। मरीज को भुगतान करना होगा। इस कारण सबसे ज्यादा परेशानी डायलिसिस, कीमोथैरेपी और हार्ट के मरीजों को होगी। इस नियम के कारण नेफ्रोलॉजी, कैंसर, यूरोलॉजी, गेस्ट्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, हार्ट और नेफ्रोलॉजी के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी भुगतनी होगी।
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर बढऩे का खतरा शेखावाटी प्राइवेट हॉस्पिटल एसोसिशन के संयोजक डा महेन्द्र बुड़ानिया के अनुसार सरकारी अस्पतालों में लगभग 50 प्रतिशत प्रसव ही होते है जबकि शेष प्रसव योजना के तहत निजी अस्पतालों में निशुल्क हो रहे थे। अब निजी अस्पतालों से सामान्य प्रसव का पैकेज हटा दिया तो ऐसे में निजी अस्पताल प्रसूता को सरकारी अस्पतालों में रैफर करेंगे या मरीज मुहमांगा भुगतान वहन करना होगा। ऐसे में दूर दराज से आने वाले मरीजों एक अस्पताल से दूसरे अस्पतालों के चक्कर लगाएंगे। जिस कारण प्रसव या तो एम्बुलेंस में होगी या स्ट्रेचर पर। इसके अलावा प्रसव के बाद जरूरत पडऩे पर नवजात को एनआईसीयू में भर्ती करने का पैकेज निजी अस्पताल से हटा दिया। ऐसे में सिजेरियएन होने पर निजी अस्पताल योजना के तहत नवजात का इलाज नहीं कर पाएंगे। इस परिस्थति में मरीज को इलाज के नकद भुगतान करना पडेगा या सरकारी अस्पताल में जाना होगा। जिससे इलाज में देरी होने या सुविधा नहीं होने से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर भी बढ़ जाएगी।
सिंगल पैकेज के कारण परेशानी शेखावाटी प्राइवेट हॉस्पिटल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा बीएल रणवा के अनुसार पूर्व में संचालित योजना में किसी सर्जरी के दौरान दूसरा कॉम्लीकेशन होने पर अन्य सर्जरी को पैकेज में शामिल कर लिया जाता था लेकिन अब नई योजना में केवल एक बार में एक ही सर्जरी का प्रावधान कर दिया गया है। जिससे मरीज को उसी जगह का दोबारा सर्जरी करवानी होगी। चिकित्सकों के अनुसार मरीज को बार-बार एनेस्थिसिया देकर सर्जरी का दंश भुगतना पडेगा।
इनका कहना है आयुष्मान भारत योजना से सम्बद्ध होने वाले अस्पतालों के पैकेज की जानकारी आम आदमी तक नहीं होने और सरकारी अस्पतालों में लंबी वेटिंग के कारण मरीजों को भटकना पडेगा योजना की नई शर्तों के कारण गंभीर बीमारियों के मरीजों को सुपर स्पेशिलिटी चिकित्सकों की सुविधा नहीं मिल पाएगी। इससे मृत्युदर बढ़ेगी। इस से मरीजों के स्वस्थ्य और जन के साथ बड़ा खिलवाड़ होने जा रहा है।
विशेष व्यास, उपाध्यक्ष राजस्थान प्राइवेट हॉस्पिटल एसोसिएशन जयपुर