scriptतलवारों के साथ दो घंटे चली भयंकर मारकाट, बाद में रातभर मनाया जश्न | bay dashhara fair cunduct in sikar | Patrika News

तलवारों के साथ दो घंटे चली भयंकर मारकाट, बाद में रातभर मनाया जश्न

locationसीकरPublished: Oct 09, 2019 12:30:03 pm

Submitted by:

Sachin

खाटूश्यामजी. हाथों में गदा लिए वानरों की किलकिलाहट थी, तो दूसरी ओर भाला-फरसा लिए राक्षसों का अट्टाहास। कोई धनुष से बाण चला रहा था, तो कोई गरजते हुए तलवार लिए ललकार रहा था।

तलवारों के साथ दो घंटे चली भयंकर मारकाट, बाद में रातभर मनाया जश्न

तलवारों के साथ दो घंटे चली भयंकर मारकाट, बाद में रातभर मनाया जश्न


प्रमोद स्वामी
खाटूश्यामजी. हाथों में गदा लिए वानरों की किलकिलाहट थी, तो दूसरी ओर भाला-फरसा लिए राक्षसों का अट्टाहास। कोई धनुष से बाण चला रहा था, तो कोई गरजते हुए तलवार लिए ललकार रहा था। दो घंटे के घोर युद्ध में कुछ मारे जा रहे थे तो कुछ मूर्छित हो रहे थे। बाय के अनूठे दशहरे मेले में मंगलवार को रामलीला हुई तो राम रावण सेना का युद्ध इसी तरह सजीव हो उठा। इसे देखने देशभर से पहुंचे लोग भी आस्था में डूब गए। दक्षिण भारत शैली के इस ऐतिहासिक मेले में रावण वध के बाद भी माहौल पूरी रात उत्सवमय था।
नंगाड़े की थाप पर नाच रही थी राम रावण की सेना
जिले का बाय गांव जहां दशहरा मेला महोत्सव विगत 162 वर्षो से भी अधिक समय से मनाया जा रहा है। इस गांव में रावण के पुतले का दहन नहीं कर ग्रामीण दक्षिण भारतीय संस्कृति पर आधारित मुखौटे पहनकर नंगाड़े की तान पर राम और रावण की सेनाएं आदि किरदार बनकर आपस में युद्ध करते हैं। इसलिए बाय का यह दशहरा पूरे प्रदेश में प्रख्यात है। श्री दशहरा मेला समिति की ओर से आयोजित विजयादशमी महोत्सव को देखने के लिए बाय सहित, खाचरियावास, दांतारामगढ़, धींगपुर, लाडपुर, खाटूश्यामजी, खोरा, बाज्यावास, बनाथला आदि गांवो व ढ़ाणियों, प्रवासी सहित हजारों की तादात में लोग उमड़े।
लक्ष्मीनाथ मंदिर से हुआ रामलीला का शुभारंभ

विजयादशमी महोत्सव का शुभारंभ श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर में श्री दशहरा मेला समिति के अध्यक्ष प्रहलाद सहसय मिश्रा, उपाध्यक्ष बजरंगलाल आचार्य, मंत्री सुभाष कुशलाका, कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र दाधीच आदि ने दोपहर 12 बजे महाआरती के साथ किया। स्थानीय कलाकारों ने दशरथ कैकई संवाद,राम बनवास, सुर्पणखां का नाक कान काटना,सीता हरण, खरदूषण वध आदि संवादों का मंचन किया। इसके पश्चात राम व रावण की सेनाएं युद्ध करने के लिए राउमावि के सामने बने युद्ध के मैदान पर पहुंची । जहां सूर्यास्त तक मेघनाथ शक्ति प्रयोग, लंका दहन, अंगद रावण संवाद एवं रावण वध हुआ। इसके पश्चात श्रीरामजी को रथ बैठाकर गाजे बाजे के साथ श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर के सामने लाकर राज्याभिषेक किया गया। महोत्सव में हनुमान उड़ान और विद्युतचलित झांकियां भी विषेश आकर्षण का केन्द्र रही। महोत्सव का संचालन मातादीन मिश्रा ने किया। सम्पूर्ण रात्रि को चली लीला में स्थानीय कलाकारों ने शेषाअवतार, गरूड़वाहन, विष्णु,सरस्वती,ब्रह्मा, सिंहवाहिनी, दुर्गा, जयसंतोषी मां,आदि अनेक तरह के देवी देवताओं के मुखौटे लगाकर नगाड़ो की थाप पर नाचते रहे। ग्रामीण महिलाओं ने साजो श्रृंगार व आवश्यक वस्तुओं की जमकर खरीददारी की।

ट्रेंडिंग वीडियो