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बीएड-बीएसटीसी विवाद: सरकार के दोहरे रुख से 9 लाख बेरोजगारों की बढ़ी मुसीबत

रीट आवेदन के समय बीएड के पक्ष में सियासी तेवर, न्यायालय में बीएसटीसी की पैरवी, कम सिलेबस होने की वजह से ज्यादातर बीएड डिग्रीधारी जुटे रहे प्रथम लेवल की तैयारी, अब हुए रीट प्रथम लेवल से आऊट, बिहार से शुरू हुई थी देशभर में कवायद

सीकरNov 27, 2021 / 09:44 am

Ashish Joshi

सीकर. प्रदेश में शिक्षक बनने का सपना देखने वाले बेरोजगारों के साथ सरकार की दो नावों की सवारी अब नौकरी के अरमानों पर पानी फेर रही है। बीएड व बीएसटीसी विवाद (BEd-BSTC controversy) के समय सरकार ने खुलकर बीएड डिग्रीधारियों की पैरवी की। सरकार के स्पष्ट रूख और न्यायालय के निर्णय के बाद रीट प्रथम लेवल में बीएड डिग्रीधारियों को शामिल कर लिया गया और परीक्षा भी ले ली गई। लेकिन रीट की परीक्षा होने के बाद सरकार ने इस मुद्दे पर यूटर्न ले लिया। सरकार ने तर्क दिया कि बीएड डिग्रीधारियों के पास द्वितीय श्रेणी व प्रथम श्रेणी का भी मौका होता है। जबकि बीएसटीसी अभ्यर्थियों के पास सिर्फ तृतीय श्रेणी का ही विकल्प होता है। इन्ही तर्को के आधार पर सरकार ने न्यायालय में भी बीएसटीसी अभ्यर्थियों के पक्ष में पैरवी भी की। अब फैसला बीएसटीसी (BEd-BSTC ) अभ्यर्थियों के पक्ष में आ गया। एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार यदि दो नावों की सवारी नहीं करती तो भर्ती की राह में इतने पेंच नहीं आते।

यहां से शुरू हुआ विवाद: वर्ष 2018 में जारी हुई थी अधिसूचना
एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन) ने वर्ष 2018 में एक नोटिफिकेशन जारी कर बीएड डिग्रीधारकों को भी रीट लेवल प्रथम के लिए योग्य माना था। एनसीटीई ने यह भी कहा था कि अगर बीएड डिग्रीधारी लेवल प्रथम में पास होते हैं, तो उन्हें नियुक्ति के साथ 6 माह का ब्रिज कोर्स करना होगा। एनसीटीई के इस नोटिफिकेशन को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। बीएड डिग्रीधारियों ने भी खुद को रीट लेवल प्रथम में शामिल करने को लेकर याचिका लगाई। इस पर फैसला नहीं हो पाया। राज्य सरकार ने रीट 2021 का नोटिफिकेशन जारी किया थाी। इसमें बीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को इस शर्त के साथ परीक्षा में बैठने दिया कि आखिरी फैसला हाईकोर्ट के निर्णय के अधीन रहेगा। लेकिन अब फैसला बीएसटी अभ्यर्थियों के पक्ष में आया है।

मेरिट पर अब असर:
रीट प्रथम लेवल: अब 118 से 125 तक कट ऑफ
रीट प्रथल लेवल में लगभग 16 हजार पदों पर भर्ती संभावित है। इसके लिए तीन लाख से अधिक अभ्यर्थी पात्र घोषित हुए है। इस लेवल में बीएड डिग्रीधारियों की वजह से पहले कट ऑफ 128 से 132 तक रहने की आस थी। क्योंकि बीएड डिग्रीधारियों को इसमें शामिल माना जा रहा था। अब कट ऑफ 118 से 125 तक रहने की आस है।

रीट द्वितीय लेवल: और बढ़ेगी टक्कर
रीट द्वितीय लेवल में 15 हजार पदों पर भर्ती होने की संभावना है। द्वितीय लेवल के लिए सात लाख से अभ्यर्थी पात्र घोषित हुए है। पहले सैकड़ों बीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थी ऐसे थे जिनका प्रथम लेवल का पेपर द्वितीय लेवल से बेहतर हुआ था। ऐसे में उनको प्रथम लेवल में नौकरी की उम्मीद ज्यादा थी। बेहतर जिला आवंटित नहीं होने पर वह प्रथम लेवल में जाते जिससे द्वितीय लेवल में कट ऑफ गिर सकती थी। लेकिन अब द्वितीय लेवल में औसतन कट ऑफ 124 से 130 तक रहने की संभावना है। पहले यह आंकड़ा 120 से 125 तक था।

बीएड विद्यार्थियों का दर्द… कम सिलेबस था इसलिए प्रथम लेवल की तैयारी की

केस एक: द्वितीय लेवल से ज्यादा प्रथम में आए नंबर
सीकर निवासी राघवेन्द्र कुमार ने बताया कि बीएड कर रखी है। लेकिन प्रथम लेवल में सिलेबस कम था। इसलिए द्वितीय लेवल से ज्यादा प्रथम लेवल की तैयारी पर ज्यादा फोकस किया। उन्होंने बताया कि प्रथम लेवल में स्कोर 130 तक पहंच गया। जबकि द्वितीय लेवल में स्कोर 118 ही है। ऐसे में प्रथम लेवल में नौकरी की पूरी आस थी। न्यायालय का निर्णय आने के बाद नौकरी की उम्मीद टूट गई।

केस दो: सरकार पहले देती यह तर्क तो नहीं होते बर्बाद

जयपुर निवासी रीना ने बताया कि सरकार ने जो न्यायालय में अब पैरवी कराई है वह पक्ष पहले ही सुना देती तो लाखों बेरोजगारों का भविष्य तवाह नहीं होता। उन्होंने बताया कि जब परीक्षा में शामिल किया तो थोड़ी उम्मीद बंधी थी। लेकिन अब अचानक भर्ती से बाहर कर दिया।

दोनों के झगड़े में बोर्ड को फायदा
राजस्थन माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को दोनों पक्षों के झगड़े का आर्थिक तौर पर फायदा हुआ है। क्योंकि नौकरी की आस में नौ लाख से ज्यादा बीएड डिग्रीधारियों ने भी आवेदन किए। परीक्षा शुल्क के जरिए बोर्ड को आमदनी भी हुई।

बीएसटीसी अभ्यर्थी बोले, संघर्ष जारी रहेगा
बीएड डिग्रीधारियों के पास नौकरी के काफी विकल्प होते है। बीएसटीसी के पास सिर्फ रीट प्रथम लेवल का ही मौका होता है। सरकार ने मजबूत पैरवी की जिससे न्याय मिला है। पिछले एक महीने से जयपुर में अनशन जारी है और आगे भी संघर्ष जारी रहेगा।
रामदेव सिंह चोटिया, बीएसटीसी संघर्ष समिति, प्रदेश उपाध्यक्ष

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