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राजस्थान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के गृहक्षेत्र SIKAR से सामने आई BJP की सबसे बड़ी फूट

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सीकरAug 29, 2018 / 04:24 pm

vishwanath saini

BJP internally divided for sikar district president issue

सीकर. राजस्थान विधानसभा चुनावी साल 2018 में भी भाजपा के सीकर कुनबे में कलह थमने का नाम ले रही है। सीकर जिलाध्यक्ष बदलाव के लिए जिले के वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने आलाकमान से मुलाकात की है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने मौजूदा महामंत्री सहित दो नाम आलाकमान को दिए है। श्रीमाधोपुर विधायक को छोडकऱ जनप्रतिनिधियों ने आलकमान को इसी महीने जिलाध्यक्ष बदलने की मांग दोहराई है। पिछले दिनों भी भाजपा नेताओं ने आलाकमान को जिलाध्यक्ष की कार्यशैली को लेकर शिकायत दी थी। लेकिन मुख्यमंत्री के प्रदेशाध्यक्ष नियुक्ति की व्यस्ता के कारण मामला टल गया था।

सूत्रों के अनुसार अब बाजौर ने मुख्यमंत्री से दुबारा मुलाकार कर सीकर जिले के सभी वरिष्ठ नेताओं के इस निर्णय में सहमत होने की जानकारी दी थी। सोमवार को गौरव यात्रा की तैयारियों को लेकर हुई बैठक में भाजपा नेताओं ने खुले तौर जिलाध्यक्ष की दावेदारी को भी चुनौती दे दी है। बाजौर गुट ने दोनों नामों पर आलकमान के सहमत नहीं होने पर खुद एक पूर्व अध्यक्ष को ही फिर से संगठन की कमान देने का भी प्रस्ताव दिया है। उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल सैनी खुद सीकर के रहने वाले हैं।

दूसरे जिले का जिलाध्यक्ष भी अटका
संगठन के हिसाब से भाजपा ने लगभग दो वर्ष पहले सीकर जिले को दो जिलों में बांटा था। दूसरे जिले में अब तक भाजपा जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर सकी। इस कारण संगठन कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी है। दूसरे जोन के जिलाध्यक्ष भी आपसी गुटबाजी की वजह से अटकी हुई है। हालांकि नीमकाथाना के भाजपा नेताओं ने दो नाम दूसरे जिले के जिलाध्यक्ष के लिए दिए है।

आलाकमान को पहले भी बताई
छह महीने पहले भी जिले के कई भाजपा नेताओं ने आलाकमान को जिलाध्यक्ष बदलने को लेकर मुलाकात की थी। इस दौरान प्रदेशाध्यक्ष बदलने के कारण मामला टल गया था। अब फिर से भाजपा नेता एक जाजम पर आकर जिलाध्यक्ष को हटाने की मुहिम में जुट गए है। यह अपने गुट से ही जिलाध्यक्ष बनवाने की तैयारी में है।

ये है जिलाध्यक्ष को लेकर विवाद
लक्ष्मणगढ़ विधानसभा सीट की दावेदारी से शुरू हुआ विवाद अब जिलाध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच गया है। चिकित्सा राज्य मंत्री बंशीधर बाजिया जहां तबादलों को लेकर जिलाध्यक्ष से नाराज है। वहीं नीमकाथाना विधायक व सैनिक कल्याण राज्य मंत्री, सांसद व यूआईटी चेयरमैन संगठन के निर्णयों मे अनदेखी से जिलाध्यक्ष से खासे खफा है। इससे पहले भी कई बार दोनों गुटों के बीच विवाद हो चुका है। लेकिन अब दोनों गुट खुलकर सामने आ
रहे है।

श्रीमाधोपुर विधायक नहीं गए
आलकमान से संगठन में बदलाव की मांग को लेकर गए प्रतिनिधिमंडल में श्रीमाधोपुर विधायक झाबर सिंह खर्रा नहीं गए। खर्रा पहले खुद जिलाध्यक्ष की कमान संभाल चुके है। इस दौरान एक गुट के विरोध के चलते जिलाध्यक्ष बदला गया था। ऐसे में खर्रा तभी से इस गुट से दूरी बनाए हुए है। सूत्रों के अनुसार खर्रा गुट ने जिलाध्यक्ष को लेकर कोई नाम भी नहीं दिया है।

मैंने काम करके दिखाया है…
भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज सिंघानिया का कहना है कि वह गुटबाजी में विश्वास नहीं करते। इस तरह की मुलाकात के बारे में उनको जानकारी भी नहीं है। संगठन ने जो भी लक्ष्य दिए वह सब पूरे करके दिखाएं है।

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