स्वयं हैंडपंप से लाकर भी देतेहैं पानी
गोपाल ने बताया कि कई पौधों में ड्रिप सीस्टम लगाकर उनको को नष्ट होने से बचा रहे हैं। कई इलाकों में वे स्वयं हैडपंप से तो कई पौधों में टैंकर से पानी डलवाते हैं। टैंकर का खर्चा भी गोपाल स्वयं वहन करते हैं। छोटे पौधो को खरपतवार व कीड़ा लगने से बचाने के लिए दवा का भी छिड़काव करते हैं।
माह में तीन बार आता है टैंकर
दृष्टिहीन गोपाल अग्रवाल अविवाहित है। गांव में वह अकेला ही रहता है। भाई नेपाल और झांसी रहते हैं। वो ही गोपाल को खर्चा भेजते हैं। गोपाल उस खर्च में से कुछ पैसे बचाकर पौधों में पानी डलवाने के लिए माह में तीन टैंकर मंगवाते हैं। उन्होंने बताया कि सर्दी में 2 व गर्मी में 3 टैंकर एक माह में मंगवाए जाते हैं।
बड़, पीपल सहित लहलहा रहे हैं अन्य पौधे
गांव में मुख्य सड़कों से लेकर चारों तरफ लगाए गए पौधों
में नीम, बड़, पीपल, अशोक व अन्य शामिल हैं। इस वर्ष 50 पौधे नए व 10 पौधे पहले नष्ट पौधों की जगह लगा चुके हैं। वहीं, 250 रुपए के 20 पीपल के पौधे अलग से गौशाला में लगाने के लिए जेसीबी से गड्ढे खुदवा रखे हैं।