26 साल पहले दुर्घटना ने बदला मन
बीएल मील को रक्त दानवीर 1995 में एसके कॉलेज के सामने हुए एक हादसे ने बनाया। बकौल मील कॉलेज में पढ़ाई के दौरान एक दिन कॉलेज के सामने ही एक दुर्घटना हो गई थी। जिसमें घायल एक युवक को अस्पताल ले जाने पर उसे खून नहीं मिल पाया। जिसकी वजह से उसने उनकी आंखों के सामने ही दम तोड़ दिया था। वह घटना उनके मन में एक टीस बन गई और उन्होंने रक्तदान करना शुरू किया।
मदद के लिए बनाया राजस्थान ब्लड डोनर गु्रप
मील सुधीर महरिया स्मृति संस्थान में निदेशक व महरिया संस्थान में सचिव पद पर है। जिनके तत्वावधान में रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जाता है। इनकी 150 सदस्यों की टीम है। जो राजस्थान ब्लड डोनर गु्रप के नाम से सोशल मीडिया व व्यक्तिगत संपर्कों के आधार पर रक्त संग्रहण व जरुरतमंद मरीजों तक मदद पहुंचाने का काम करती है। टीम में उनका परिवार भी शामिल है। जिसमें उनके भाई, दो बेटियां व भतीजा सक्रीयता से काम करते हैं।
कोरोना काल में 22 शिविर लगवाए, देशभर के मरीजों तक पहुंचाया प्लाज्मा
कोरोना काल में बढ़ी रक्त व प्लाज्मा की मांग की वजह से मील लॉकडाउन में भी घर नहीं बैठे। अपनी टीम के साथ उन्होंने पिछले साल के लॉकडाउन से अब तक 22 रक्तदान शिविर लगवाकर 2200 यूनिट से ज्यादा रक्त संग्रह करवाया। 336 यूनिट प्लाज्मा देशभर के मरीजों तक पहुंचाया। इस काल में खुद मील छह बार रक्त, पांच बार प्लाज्मा व एक बार प्लेटलेट्स दान कर मरीजों के मददगार बने। विश्व रक्तदाता दिवस पर सोमवार को भी पिपराली रोड पर उनकी टीम रक्तदान शिविर का आयोजन करेगी।