scriptवर्चस्व की लड़ाई में चुनावी रंजिश को लेकर खूनी खेल | Bloody game over electoral rivalry in the battle of supremacy | Patrika News
सीकर

वर्चस्व की लड़ाई में चुनावी रंजिश को लेकर खूनी खेल

सीकर. लोकतंत्र के उत्सव में गांव हो या चाहे शहर गुटबाजी होती है। इसी गुटबाजी के कारण चुनावी रंजिश में शेखावाटी की धरा लाल हो रही है। वर्चस्व की लड़ाई को लेकर खूनी खेल खेला जाता है। शेखावाटी में इस खेल में कई बेकसूर लोगों की जान चली गई। पीढी दर पीढ़ी ये दुश्मनी निभाई जाती है।

सीकरNov 18, 2019 / 01:29 pm

Vikram

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सहारनपुर में मर्डर

सीकर. लोकतंत्र के उत्सव में गांव हो या चाहे शहर गुटबाजी होती है। इसी गुटबाजी के कारण चुनावी रंजिश में शेखावाटी की धरा लाल हो रही है। वर्चस्व की लड़ाई को लेकर खूनी खेल खेला जाता है। शेखावाटी में इस खेल में कई बेकसूर लोगों की जान चली गई। पीढी दर पीढ़ी ये दुश्मनी निभाई जाती है। नौबत यहां तक पहुंच गई है कि छात्र राजनीति से ही चुनावी रंजिश शुरू हो जाती है और कई सदियों तक चलती रहती है। चुनावी रंजिश के कारण ही गैंगवार को बढ़ावा मिला। चुनाव पूरे होने के बाद भी भेभाराम हत्याकांड से लेकर केसर दुगोली, जुराठड़ा पूर्व सरपंच सरदार राव, सरपंच रामवतार महला की हत्या कर दी गई। एनएसयूआई जिलाध्यक्ष पद को लेकर साथियों ने ही मंजीत की हत्या कर दी।
1. एनएसयूआई जिलाध्यक्ष पद को लेकर मंजीत बाजिया की मौत
एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष पद को लेकर विवाद में फकीरपुरा निवासी मंजीत पर पिछले साल उसी के साथियों ने हमला कर दिया था। वह डेढ़ साल कोमा में था। उसकी दो नवम्बर को मौत हो गई। एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष पद की दावेदारी को लेकर मंजीत बाजिया का दिनेश नागा से विवाद हो गया था। बीबीपुर में शादी समारोह से लौटते मंजीत को भढाढर में दिनेश नागा, दिनेश बुढानिया, शिवा, सुभाष, नितिन यादव, सुनील, पिंटू, बंटी ने जानलेवा हमला कर दिया था। डेढ़ साल से जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा था। पुलिस ने आरोपी शिवा उर्फ शिवराज, सुभाष गुर्जर उर्फ डॉन व नितिन यादव को गिरफ्तार कर लिया था। जबकि रामपुरा निवासी दिनेश नागा और मंडेला निवासी दिनेश बुडानिया फरार हो गए थे। जिन्होंने हरियाणा, मेघालय और असम में फरारी काटी। सितंबर 2018 में पुलिस ने उन्हें सांवली में दबोच लिया था।
2. खुड़ी सरपंच रामवतार महला को नौ गोली मार हत्या की
लक्ष्मणगढ़ में खुड़ी सरपंच रामवतार महला की चुनावी रंजिश में 26 जुलाई 2014 को नौ गोलियां मार कर हत्या हुई थी। सरपंच की पत्नी विमला ने पुलिस को रिपोर्ट दी थी कि खुड़ी छोटी के जगदीश शेखावत ने उसके पति के खिलाफ चुनाव लड़ा था। चुनाव जीतने के बाद से दोनों की आपस में रंजिश हो गई। सुबह नौ बजे सुरेंद्र महला व सुरेंद निठारवाल कागज पर हस्ताक्षर कराने के लिए सरपंच के घर गए। सरपंच ने पत्नी को चाय लाने के लिए बोला। इसके पांच मिनट के बाद ही पिस्टल निकाल कर उन्होंने सरपंच के नौ गालिया मार दी। घर में कोई नहीं था। चालक ताराचंद बाहर था। वह गोलियों की आवाज सुनकर आया। उसे भी गोली मार दी। सरंपच की अस्पताल में मौत हो गई और ताराचंद गंभीर रूप से घायल हो गया। जगदीश सिंह का बेटा कृपाल सिंह घटना से तीन-चार दिन पहले दोनों के पास ही बैठा देखा गया था।
3. सुभाष और लारेंस के बीच पहुंची सरदाव राव की चुनावी रंजिश
23 अगस्त को पलसाना में किराणे की दुकान पर बैठे जुराठड़ा पूर्व सरपंच सरदार राव की हत्या कर दी गई। जुराठड़ा पंचायत की सीट हरदेवाराम के बेटी की नौकरी लगने से खाली हुई थी। हरदेवाराम बराल गांव कर रहने वाला था। सरदार राव और हरदेवाराम दोनों ही उपचुनावों में दावेदारी जताई थी। दोनों में जबरदस्त रंजिश हो गई। हरदेवाराम ने सुभाष बराल को चुनावी रंजिश के बारे में बताया। सुभाष और लारेंस एक ही जेल में थे। सुभाष ने लारेंस को रंजिश की बात कहीं। तब लारेंस ने अपने शूटर संपत व अंकित के साथ एक अन्य शूटर को भेजा। किराणे की दुकान पर सरदार राव आया तो पहले से ही रैकी कर तीनों बैठे हुए थे। तीनों ने ताबडतोड़ गोलियां चला कर हत्या कर दी। पुलिस हत्या में अभी तीनों शूटरों को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। संपत को गुडगांव पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वहीं सुभाष और लारेंस पहले से ही जेल में है।
4. चुनावी रंजिश में भेभाराम व केसर दुगोली हत्याकांड
संघर्ष की धरती शेखावटी सीकर में भेभाराम हत्याकांड से गैंगवार की शुरूआत मानी जाती है। केसर व मांगीलाल ने चुनावी रंजिश में भेभाराम का अपहरण कर हत्या की थी। इसके बाद केसर की हत्या की साजिश शीशपाल और ओमप्रकाश ने रची। भेभाराम की हत्या का बदला ओमप्रकाश लेना चाहता था। शीशपाल के पिता दुगोली के सरपंच थे। 2010 में केसर की पत्नी सरपंच बन गई तो केसर राजनीति में सर्किय हो गया। बल्लुपुरा में एक शादी में श्ीशपाल गया था। वहां पर केसर व अन्य भात लेकर गए थे। वहां पर केसर ने शीशपाल को बेइज्जत किया। 7 जनवरी 2011 को सांवली अस्पताल में किसी बीमार को दिखाने केसर आया था। तब बालचंद पारीक की चाय की थड़़ी पर केसर को तीन लोगों ने मिलकर गोली मार हत्या कर दी। कोर्ट ने हाल ही में शीशपाल, ओमप्रकाश, प्रहलाद, सोमपाल व अरविंद को सजा सुनाई थी।
एक्सपर्ट व्यू : चुनावों के दौरान सफल प्रतिस्पर्धा रखनी चाहिए। मन में द्वेष भावना नहीं होनी चाहिए। चुनाव समाप्त होने के बाद मतभेद भुला कर आपस में प्रेमभाव से रहना चाहिए। चुनावी रंजिश के कारण कई बार बड़ी अनहोनी हो जाती है। एेसे में बड़ा परिवार को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है। दोनों ही परिवार रंजिश में बर्बाद हो जाते है। देवेंद्र कुमार शर्मा, एएसपी सीकर
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