सामान्य शिक्षा के शिक्षकों के भरोसे चल रहे स्कूल
महात्मा गांधी स्कूलों में कैडर की बात करने वाली राज्य सरकार दो से तीन साल बाद भी शिक्षकों के पद सृजित नहीं कर पाई हैं। केवल संस्था प्रधानों के पद सर्जित किए हैं। जिन स्कूलों में 11 वीं कक्षा शुरू हो चुकी है वहां पर भी अभी तक व्याख्याता नहीं हैं। ऐसे में बिना व्याख्याता बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से बाधित हो रही है। इतना ही नहीं महात्मा गांधी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा देने वाले शिक्षक भी अधिकांशत: सामान्य शिक्षा से ही हैं। ऐसे में अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा देने का सपना दिखाने वाली सरकार पर कई सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि कब तक यूं ही राज्य सरकार अंग्रेजी माध्यम के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ खेलती रहेगी। सरकार को जल्द ही इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर एक सुदृढ़ ढांचा तैयार करना चाहिए। जब तक इन महात्मा गांधी स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम का स्थाई स्टाफ नहीं होगा तब तक इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा पर भी सवाल उठते रहेंगे।
महात्मा गांधी के स्तर पर नहीं स्कूल भवन
प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों की तर्ज पर महात्मा गांधी स्कूल खोलने का सपना तो राज्य सरकार ने दिखा दिया। लेकिन तीन साल बाद भी राज्य की सरकार ने महात्मा गांधी स्कूलों के स्तर के भवन तैयार नहीं किए हैं। आज भी महात्मा गांधी स्कूल सामान्य शिक्षा की स्कूल भवनों में संचालित हैं। प्रदेश के कई स्कूल तो ऐसे भवनों में संचालित है, जहां बच्चों के लिए प्राथमिक सुविधाओं का भी अभाव हैं। निजी स्कूलों में केवल बच्चों की पढ़ाई ही नहीं बल्कि व्यवस्थाओं को देखकर भी बच्चों के अभिभावक आकर्षित होते हैं। ऐसे में कब तक यूं ही राज्य सरकार सामान्य शिक्षा के भरोसे महात्मा गांधी स्कूलों का संचालन करती रहेगी।
हिंदी माध्यम के शिक्षकों के पदों से उठ रहा वेतन
प्रदेश में महात्मा गांधी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों का वेतन भी पिछले तीन साल से हिंदी माध्यम शिक्षकों के पदों से ही उठ रहा हैं। प्रदेश में जिन स्कूलों के स्थान पर महात्मा गांधी स्कूल खोले गए थे। उन स्कूलों में संचालित शिक्षकों के पदों को खत्म नहीं किया गया। बल्कि उन्हीं पदों पर वेतन उठाकर महात्मा गांधी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों का वेतन जारी हो रहा है। सीकर में कुल 56 महात्मा गांधी स्कूल संचालित है। इनमें से 10 महात्मा गांधी स्कूल जिले में सबसे पहले खुले। जिले की नौ ब्लॉक और फतेहपुर में अलग से एक महात्मा गांधी की तर्ज पर ही इंग्लिश मीडियम स्कूल खोला गया। इन 10 महात्मा गांधी और एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में तो प्रधानाचार्य के पद सृजित हो गए। लेकिन शेष 45 महात्मा गांधी स्कूलों में तीन साल बाद भी पद सृजित नहीं हुए।
तीन साल बाद भी भवन का इंतजार
सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेज़ी स्कूल के नाम पर प्रचार प्रसार तो बड़े स्तर पर किया, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी न इन स्कूलों के पास इस स्तर का भवन है न ही शिक्षकों के वेतन का बजट। अलग कैडर तो दूर की बात है हर चीज़ सामान्य शिक्षा से उधार लेकर संचालित की जा रही है। सरकार को अविलंब, इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर एक सुदृढ़ ढांचा तैयार करना चाहिए।
उपेन्द्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत)