केडेवर ही प्रथम शिक्षक समारोह के दौरान मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डा केके वर्मा ने कहा कि केडेवर ही एमबीबीएस की पढाई के दौरान विद्यार्थी का पहला शिक्षक होता है। उपस्थित चिकित्सकों को चिकित्सकीय शपथ याद दिलाते हुए मानव शरीर में उत्पन्न होने वाले रोगों की पहचान व उपचार करने की सही क्षमता का सही उपयोग करने को कहा। मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डा अशोक कुमार ने देहदान करने वाले लोगों को महान बताया। डा रामरतन यादव ने कहा कि एमबीबीएस की की प्रथम सीढी शरीर रचना को समझना है इसके जरिए ही एक अच्छा चिकित्सक बना जा सकता है। डा. हरि सिंह खेदड ने बताया कि एनएमसी के नए नॉम्र्स और केरिकुलम के अनुसार सभी विद्यार्थियों को केडेवर के प्रति उचित सम्मान के लिए शपथ लेना जरूरी है।
नोबल प्रोफेशन का गर्व
सफेद एप्रिन पहने के बाद सभी विद्यार्थियों ने चिकित्सकीय पेशे का गर्व महसूस किया। प्रणवी अग्रवाल सहित अन्य विद्यार्थियों ने बताया कि एमबीबीएस की पढाई के पहले चरण में यह गौरव मिलना एक विद्यार्थी के लिए सपने के साकार होने जैसा है।
नोबल प्रोफेशन का गर्व
सफेद एप्रिन पहने के बाद सभी विद्यार्थियों ने चिकित्सकीय पेशे का गर्व महसूस किया। प्रणवी अग्रवाल सहित अन्य विद्यार्थियों ने बताया कि एमबीबीएस की पढाई के पहले चरण में यह गौरव मिलना एक विद्यार्थी के लिए सपने के साकार होने जैसा है।
कॉलेज के पास केडेवर लाइसेंस सीकर मेडिकल कॉलेज को केडेवर (शव ) रखने का लाइसेंस मिल चुका है। इसके लिए मेडिकल कॉलेज में 10 देहदान दाताओं ने संकल्प पत्र भी भर दिए है। मेडिकल विद्यार्थियों को एनाटॉमी की पढ़ाई में शवों की जरूरत पड़ती है। कई बार शवों की कमी के कारण सिमुलेटर और डिजिटल शरीर का इस्तेमाल भी होता है, लेकिन इसकी अपनी सीमाएं हैं। एनाटॉमी के प्रोफेसर डा. सिंघल ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान असल अंगों को छूए और समझे बिना एनाटॉमी समझना मुश्किल है। ऐसे में लोगों को इस महान काम के लिए आगे आने की जरूरत है जिससे भावी चिकित्सकों को शरीर की रचना समझने में आसानी हो।