अवकाश की गफलत स्कूल में दूध लेकर पहुंचे विक्रेताओं के लिए भी परेशानी का सबब बनी रही। अवकाश की सूचना नहीं होने पर वह भी रोजाना की तरह स्कूल में दूध लेकर पहुंच गए। जहां बच्चों को स्कूल में देखकर वह भी देर तक शिक्षकों का इंतजार करते रहे। लेकिन, जब उन्हें भी छुट्टी की जानकारी मिली तो वह भी दूध साथ लेकर वापस लौटे। 23 अगस्त की रात 24 अगस्त को जन्माष्टमी के अवकाश के आदेश पर सरकार सोशल मीडिया पर भी दिनभर घिरी रही। आदेश को लेकर सरकारी कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया, तो जमकर मजाक भी उड़ाया। लिखा कि ‘जन्मतिथि बदलवाने में तो कई दिन लग जाते है लेकिन राजस्थान सरकार ने तो पांच मिनट में ही भगवान कृष्ण की ही डेट ऑफ वर्थ बदल दी।’ कुछ ने लिखा स्कूल के गेट के सामने 14 लीटर दूध रखा है अब कौन पीएगा’ तो एक ने सरकार को निशाने पर रखते हुए लिखा ‘कल शिक्षक व्रत नहीं करेंगे तो पाप किसे लगेगा ’ यह भी लिखा गया कि ‘ शुक्रवार को स्कूल में बच्चे पहुंचे लेकिन शिक्षक नहीं। शनिवार को शिक्षक पहुंचेंगे बच्चे नहीं और रविवार को गुस्से में आकर ना शिक्षक पहुंचेंगे और ना ही बच्चे।
पांच अवकाश भी बदले सरकार
जन्माष्टमी का अवकाश शुक्रवार को करने के चलते सचिवालय के कर्मचारी भी आरोपों से घिर गए हैं। फाइव डे वीक में एक छुट्टी का ओर इजाफा करने के लिए जानबूझकर किया गया फैसला बताते हुए सचिवालय को दिनभर निशाने पर रखा गया। तंज कसा गया कि यदि ऐस ही छुट्टियां बढ़ानी है तो अवकाश के दिनों में पड़ रही तेजा दशमी व रामदेव जयंती, नवरात्रा स्थापना, दुर्गाष्टमी, दीपावली और बारावफात के अवकाश में भी सरकार को फेरबदल कर देना चाहिए।
कई संगठनों ने किया विरोध
एक दिन पहले रात को छुट्टी का दिन बदलने के आदेश को तुगलकी बताते हुए कई शिक्षक संगठनों ने भी इसका विरोध किया। मामले में रेसला और राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत सहित कई संगठनों ने सरकारी फैसले को एक वर्ग विशेष की स्वार्थपूर्ति का साधन बताते हुए इसकी निंदा की है।