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वर्ष की आखिरी शनिश्चरी अमावस्या पर होगा दान पुण्य

locationसीकरPublished: Dec 02, 2021 10:36:56 pm

अब अगले वर्ष सिर्फ दो शनि अमावस्या का बनेगा संयोग
 

The festival of Shani Amavasya will be celebrated on 4th December

स्नान-दान का क्रम रात से नहीं, बल्कि सूर्योदय के समय से आरंभ करें श्रद्धालु

सीकर. मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या शनिवार चार दिसंबर को है। इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए दान-पुण्य के कार्य होंगे।इस दिन शनिवार होने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या या शनि अमावस्या कहा जाता है। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि इस दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। इस दिन किए गए दान और पूजा-पाठ का अधिक पुण्य मिलता हैं।शनिवार का दिन न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है। शनिवार का दिन कुंडली मे मौजूद शनि दोष के निवारण के लिए कई तरह के उपाय किए जा सकते हैं। इससे शनि पीड़ा से राहत मिलती है। साथ ही मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। शनि दोष से मुक्ति के उपाय शनिश्वरी अमावस्या के दिन शनि देव की विधिपूर्वक पूजा करे। इस दिन शनि देव का सरसों के तेल और काले तिल से अभिषेक करे। कुंडली में मौजूद शनि दोष से मुक्ति के लिए शनि अमावस्या को शनि मंदिर में पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करना चाहिए। शनि अमावस्या के दिन काले कुत्ते को सरसों तेल से बनी रोटी खिला सकते है। इतना ही नहीं, कौवों को खाना खिला सकते है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. । मान्यता है कि हनुमानजी के भक्तों को शनि देव कभी परेशान नहीं करते। ऐसे में शनि अमावस्या के दिन हनुमान जी को चमेली के तेल का दीपक दान करें और सिंदूर का चोला चढ़ाए। वर्ष 2022 में अमावस्या तिथिरविवार, 02 जनवरी पौष अमावस्यामंगलवार, 01 फरवरी माघ अमावस्याबुधवार, 02 मार्च फाल्गुन अमावस्याशुक्रवार, 01 अप्रैल चैत्र अमावस्याशनिवार, 30 अप्रैल वैशाख अमावस्यासोमवार, 30 मई ज्येष्ठ अमावस्याबुधवार, 29 जून आषाढ़ अमावस्यागुरुवार, 28 जुलाई श्रावण अमावस्याशनिवार, 27 अगस्त भाद्रपद अमावस्यारविवार, 25 सितंबर अश्विन अमावस्यामंगलवार, 25 अक्टूबर कार्तिक अमावस्याबुधवार, 23 नवंबर मार्गशीर्ष अमावस्याशुक्रवार, 23 दिसंबर पौष अमावस्या
खर मास 16 से, दान धर्म कथा कीर्तन का चलेगा दौरसीकर. वर्ष के अंतिम माह दिसंबर का आगाज हो चुका है। इस दौरान पूरे महीने कई महत्वपूर्ण पर्वों के साथ ही तिथियां व विशेष योग संयोग आएंगे। वहीं, मार्गशीर्ष मास और पौष माह के बीच पडऩे वाले खरमास (धनु मलमास) की शुरुआत 16 दिसंबर से होगी, जो कि 14 जनवरी तक रहेगा। हालांकि इस अवधि में शादी विवाह कार्यों पर विराम लग जाएगा, लेकिन इस दौरान दान, धर्म व कथाओं का दौर जारी रहेगा।

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