अमर शहीदों के साथ पदक विजेताओं की कहानी
पुस्तक में परमवीर चक्र, महावीर चक्र, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र, वीर चक्र, सेना मेडल और विशिष्ट सेना मेडल हासिल करने वाले सैनिकों के साथ शहीदों के पाठ शामिल किए हैं। इसमें झुंझुनूं के परमवीर चक्र विजेता मेजर पीरूसिंह शेखावत, जोधपुर निवासी शहीद मेजर शैतान सिंह, सीकर जिले के सूबेदार चूनाराम फगेडिया, जोधपुर के शहीद सैनिक ढोकलसिंह, ब्रिगेडियर रघुवीर सिंह राजावत, गु्रप कैप्टन चंदन सिंह, नागौर निवासी नायक सुगन सिंह, सीकर निवासी नायक दिगेन्द्र कुमार परस्वाल, चूरू निवासी कैप्टन करणी सिंह राठौड़, मेजर सुखसिंह, हवलदार अमर सिंह राठौड़, राणेराव, सूबेदार लालसिंह राठौड़, रणशेर सिंह, ब्रिगेडियर महावीर सिंह, दौलत सिंह, कर्नल सौरभ सिंह शेखावत, ब्रिगेडियर बाघसिंह राठौड़, कैप्टन नरपत सिंह राठौड़, सार्जेन्ट जगमाल सिंह, मेजर रणवीर सिंह शेखावत, जमादार छोटू सिंह, अजमेर निवासी कैप्टन हरेन्द्र सिंह, मेजर रणवीर सिंह झुंझुनूं, मेजर जितेन्द्र सिंह शेखावत, सीकर के अरविन्द कुमार बुरड़क, लेफ्टीनेंट कर्नल सुमेर सिंह, नायक गोकुल सिंह, मेजर पूरण सिंह, मोहम्मद अयूब खां, झुंझुनूं, कर्नल मेघसिंह राठौड़, लांस नायक भंवर सिंह राठौड़, रफीक खान, कर्नल गोविन्द सिंह शेखावत सीकर, ब्रिगेडियर जगमाल सिंह, ग्रेनेडियर मुराद खां, नायक हवलदार सरदार खां, मेजर महमूद हसन खां झुंझुनूं, मेजर राजेन्द्र सिंह राजावत, कर्नल श्याम वीर सिंह राठौड़, नायक रिसालदार नूर मोहम्मद खां, कैप्टन नवल सिंह राजावत, ब्रिगेडियर हमीर सिंह, शीशराम गिल, स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा, नायब सूबेदार रामपाल सिंह, मेजर भानुप्रताप, सीकर निवासी मेजर सुरेन्द्र पूनियां की गौरवगाथा शामिल की गई है।
पुलवामा के इन शहीदों की कहानी
पुस्तक में वर्ष 2019 में हुए पुलवामा हमले के शहीदों के पाठ भी शामिल किए हैं। इस हमले में हेमराज मीणा कोटा, रोहिताश लाम्बा जयपुर, जीतराम भरतपुर, नारायणलाल गुर्जर राजसमंद व भागीरथ धौलपुर शहीद हो गए थे।
शहीद परिवारों की मांग पर कवि प्रदीप का गीत भी शामिल
राजस्थान के शहीद परिवारों की मांग पर मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध कवि प्रदीप (रामचंद नारायण द्विवेदी) का गीत भी इस पुस्तक में शामिल किया है। कवि प्रदीप ने आओ बच्चो तुम्हे दिखाएं झांकी हिन्दुस्तान की लिखा था। पुस्तक में ये है अपना राजपुताना नाज इसे तलवारों पे, इसने अपन सारा जीवन काटा बरछी तीर कमानों पे, ये प्रताप का वतन पला है आजादी के नारो पे, कूद पड़ी थी हजारो पद्मिनी अंगारों पे, बोल रही है कण-कण से कुर्बानी राजस्थान की, इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की….। इसके अलावा थी खून से लथपथ काया, फिर भी बन्दूक उठाके, दस-दस को एक ने मारा…कविता भी शामिल की है।
इनका कहना है
राजस्थान के इतिहास में पहली बार बच्चों को शहीदों के संघर्ष के बारे में पढ़ाए जाने की सूचना मिली है। बच्चे अपने यहां के शहीदों के बारे में पढ़कर प्रेरणा ले सकेंगे।
दिगेन्द्र कुमार, महावीर चक्र विजेता, सीकर
राजस्थान की पाठ्यपुस्तकों की सबसे बड़ी कमी यही थी कि देश की सरहद की रक्षा करने वाले शहीदों के बारे में एक भी पाठ नहीं था। पहली बार प्रदेश के 24 से अधिक शहीदों के पाठ शामिल किए हैं।
गोविन्द सिंह डोटासरा, शिक्षा मंत्री