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शहीद किशन सिंह राजपूत के दो मासूम बेटे, बिलखती मां और बेसुध पत्नी को देख कोई नहीं रोक सका आंसू

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Published: December 18, 2018 05:46:36 pm
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रतनगढ़ (चूरू). ऐ शहीदे मुल्को मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफिल में है...। राजस्थान के चूरू जिले के रतनगढ़ शहर से करीब 13 किमी दूर सालासर रोड स्थित गांव भींचरी में सोमवार सुबह हजारों लोगों की भीड़ के साथ गांव के लाडले व शहीद किशनसिंह की देह पंचतत्व में विलीन हो गई।

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चार वर्षीय बेटे धर्मवीर ने जब पिता को मुखाग्नि दी तो वहां एकत्र लोगों के आंसू छलक पड़े। सेना के अधिकारी भी आंसू नहीं रोक पाए। शहीद होने के तीसरे दिन सोमवार सुबह 11.30 बजे जब पार्थिव देह घर पहुंचा तो पत्नी व अन्य परिजनों के करुणक्रंदन ने सभी को झकझोर दिया।

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वीरांगना संतोष कंवर बार-बार बेहोश होने लगी। अंतिम संस्कार के बाद वीरांगना की हालत खराब हो गई। सूचना पर जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल ने सीएमएचओ डा. मनोज शर्मा व फिजीशियन डा. जीवराज को शहीद के घर भेजकर वीरांगना के उपचार के निर्देश दिए। सीएमएचओ डा. शर्मा ने बताया कि वीरांगना की देखरेख के लिए डा. लोकेश कुमार व नर्सिंग स्टाफ मुकेश की ड्यूटी लगाई गई है। अब वीरांगना के स्वास्थ्य में सुधार है।

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शनिवार सुबह आतंकी मुठभेड़ में लगी गोली, रविवार सुबह करीब एक बजे जम्मू से पार्थिव देह को प्लेन से दिल्ली लाया गया, रविवार अपराह्न 3 बजे शहीद किशनसिंह की पार्थिव देह बीकानेर सेना मुख्यालय पहुंची।

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सोमवार सुबह करीब आठ बजे बीकानेर से पार्थिव देह गांव भींचरी के लिए रवाना, सोमवार पूर्वाह्न 11.40 बजे भींचरी गांव पहुंची शहीद की पार्थिव देह , सोमवार दोपहर दो बजे खुद की जमीन पर अंतिम संस्कार.

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शहीद किशन सिंह के चचेरे भाई समुद्रसिंह ने कहा कि उसका भाई देश के लिए अमर हो गया यह उसके लिए गर्व की बात है। लेकिन हम देश के साहसी सैनिकों से अपील करते हैं कि सीमा से आतंक का सफाया करने में बहादुरी से डटे रहें। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को आज राजस्थान में सरकार के शपथ ग्रहण में बुलाया जा रहा है।

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उनका बेटा फारुक अब्दुल्ला आंतकियों को सपोर्ट करता है। यह दुर्भाग्य की बात है जो लोग कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं, आतंकियों को सह दे रहे हैं। ऐसे लोगों को राजस्थान की पवित्र धरती पर नहीं आने देना चाहिए। सरकार के इस निर्णय से शहीद परिवार को दुख हुआ है।

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शहीद का पार्थिव देह जैसे ही बीकानेर से चला तो जगह-जगह लोग किशनसिंह को सलामी देने के लिए रास्ते में खड़े हो गए। श्री डूंगरगढ़, सेरूणा गांव, संगम चौराहा, लूंछ फांटा, सांगासर, राजलदेसर आदि स्थानों पर सडक़ के दोनों तरफ खड़े लोगों ने शहीद को सलामी व श्रद्धांजलि दी। राबाउप्रावि भींचरी के सामने विद्यार्थियों ने श्रद्धांजलि दी।

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शहीद किशनसिंह के पिता हनुमानसिंह की 2011 में मौत हो गई थे। किशनसिंह व जीवराजसिंह दो भाई थे। बड़ा भाई जीवराज सिंह कोलकाता में ट्रक चलाता है। माता मोहन कंवर व पत्नी संतोष कंवर दोनों गृहणी हैं। किशन के दो बेटे धर्मवीर (4) व मोहित (2) हैं। घर में नौकरी करने वाला केवल किशनसिंह था। वह 2010 में सेना में भर्ती हुआ था। करीब नौ साल तक सरहदों की रक्षा की। 2012 में फतेहपुर के गांव डाबड़ी की संतोष कंवर से शादी हुई थी। 28 नवंबर को ही गांव से ड्यूटी पर गया था। कुछ महीने बाद बीकानेर में उसकी नियुक्ति होने वाली थी। किशनङ्क्षसह का जन्म 9 दिसंबर 1989 को हुआ था।

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किशनसिंह का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ श्मशान की बजाय उनकी खुद की जमीन पर किया गया। अंंतिम संस्कार से पहले सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। सेना के अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी।

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सांसद राहुल कस्वां, जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक राममूर्ति जोशी, विधायक अभिनेश महर्षि, पूर्व राज्यमंत्री राजकुमार रिणवा, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी राजवीर चौधरी, प्रधान गिरधारीलाल बांगड़वा, सुजानगढ़ प्रधान गणेश ढाका, एसडीएम संजू पारीक, डीएसपी नारायण दान, सीएमएचओ मनोज शर्मा, पालिका अध्यक्ष इंद्र कुमार, डा. जीवराज सिंह, कश्मीर से आए सेना की 55 आरआर बटालियन के कर्नल प्रदीप दुग्गल, कर्नल भवानीदत्त उपाध्याय, मेजर वैभव जावलकर, मेजर अर्जुनसिंह, अमृतपाल सिंह, बृजपाल सिंह, लेफ्टिनेंट सत्येंद्र धनखड, कैप्टन निशांत, शिवराज सिंह, कैप्टन सिन्हा सहित हजारों की तादात में लोग मौजूद थे।

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सरदारशहर. प्रेरणा मंच, कर्मभूमि सेवा संस्थान एवम कैंब्रिज कान्वेंट स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में गांधी चौक में शहीद को श्रद्धांजलि दी गई।

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शाम करीब चार बजे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व विधायक राजेन्द्र राठौड़ ने शहीद के घर पहुंचकर पत्नी व परिजनों को सांत्वना दी। पूर्व सीएम राजे ने शहीद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर शहीद वीरांगना संतोष कंवर से मुलाकात की। संतोष कंवर चमक कर उठी और बोली कि बाबू के पापा आ गए क्या? राजे ने प्रत्युत्तर दिया हां वो भी आ गए मैं भी आ गई। वीरांगना संतोष कंवर वापस बोली क्या आपां सीकर में मकान बणास्यां, तो जवाब में वसुंधरा राजे ने कहा कि हां बिल्कुल बनाएंगे।

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इसके बाद संतोष कंवर फिर बेहोश हो गई। राजे ने शहीद की मां मोहन कंवर से भी मुलाकात की। इसके बाद शहीद की बहनों से मिली और पूरे परिवार को ढाढ़स बंधाया। राजे ने कहा कि आपके बेटे ने पूरे राष्ट्र को गौरवान्वित किया है। राजे ने सन्तोष कंवर का उपचार कर रहे चिकित्सकों को वीरांगना का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा। इस दौरान विधायक अभिनेष महर्षि, पूर्व विधायक खेमाराम, पार्षद राकेश जांगिड आदि मौजूद थे।

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