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बेटियों को भूल गए ‘कलक्टर पापा ‘…पहले हर महीने मुलाकात, अब होली-दिवाली

locationसीकरPublished: Jan 20, 2022 10:15:05 pm

Submitted by:

Ajay

अजय शर्मा
प्रदेश के अधिकतर जिला कलक्टर गोद ली बेटियों को ही भूल गए हैं। बेटी रोज उम्मीद करती है कि कलक्टर पापा आएंगे लेकिन उनका इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा।

बेटियों को भूल गए 'कलक्टर पापा '...पहले हर महीने मुलाकात, अब होली-दिवाली

बेटियों को भूल गए ‘कलक्टर पापा ‘…पहले हर महीने मुलाकात, अब होली-दिवाली

सीकर. प्रदेश के अधिकतर जिला कलक्टर गोद ली बेटियों को ही भूल गए हैं। बेटी रोज उम्मीद करती है कि कलक्टर पापा आएंगे लेकिन उनका इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा। पिछली भाजपा सरकार के समय आपणी बेटी योजना के तहत सभी जिला कलक्टरों ने एक से लेकर 11 बेटियों को गोद लिया था। पिछली सरकार की फ्लैगशिप योजना होने की वजह से सभी कलक्टरों की ओर से हर महीने बेटियों से मुलाकात कर उनके दुख-दर्द को भी सुनते थे। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद योजना भी कागजों में गुम हो गई। हालांकि कांग्रेस सरकार की ओर से इस योजना को बंद करने के कोई लिखित आदेश जारी नहीं किए गए। इसके बावजूद केवल सीकर, चूरू और अलवर के कलक्टर ही बेटियों से नियमित मिल रहे हैं, बाकी 30 जिला कलक्टरों की ओर से महज होली-दिवाली पर ही बेटियों से मुलाकात की जाती है। इनमें से कोटा, झुंझुनंू, जयपुर, करौली, झालावाड़ सहित नौ जिले ऐसे हैं जिनमें पिछले तीन साल में रहे सात कलक्टरों ने बेटियों से एक बार भी मुलाकात नहीं की।

क्या थी योजना: निराश्रित बेटियों को लेना था गोद

वर्ष 2014 में आपणी बेटी योजना के तहत सभी कलक्टरों को कम से कम एक बेटी गोद लेनी थी। इन निराश्रित बेटियों के पढ़ाई से लेकर अन्य खर्चे भी जिला प्रशासन को देने थे। अब कोरोना की वजह से प्रदेश में कई बेटियां निराश्रित हो गई लेकिन अफसर गोद लेने में रूचि नहीं दिखा रहे।

प्रदेश में 110 बेटी ली थी गोद
वर्ष 2014 में सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों की ओर से 110 बेटी गोद ली गई थी। जबकि इस समय प्रदेश के अफसरों ने आपणी बेटी योजना के तहत 45 बेटियों को ही गोद ले रखा है।


किस जिले में कलक्टरों का बेटियों से कितना जुड़ाव

झुंझुनूं: यहां कलक्टर को याद नहीं है बेटी
बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ को लेकर जिस जिले में पीएम मोदी की सभा हुई और सरकार ने भी पूरा फोकस किया, उस जिले के कलक्टर ही गोद ली बेटियों को भूल गए। वर्ष 2014 में यहां भी बेटी गोद ली गई। इसके बाद कलक्टर भूल गए। वर्ष 2016 में तत्कालीन कलक्टर बाबूलाल मीणा ने झुंझुनूं में रहीसा बानो को गोद लिया था। उसे निजी स्कूल संचालक निशुल्क पढ़ा रहे हैं, लेकिन कलक्टर लम्बे समय से उससे नहीं मिले।

कोटा: सरकार बदलने के बाद भूल गए कलक्टर

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद यहां के जिला कलक्टर गोद ली बेटियों को भूल गए। कलक्टरों की ओर से एक बार भी बेटियों से मुलाकात नहीं की गई।
चूरू: दिवाली पर मिले थे कलक्टर

चूरू जिला कलक्टर ने एक बेटी को गोद ले रखा है। तत्कालीन जिला कलक्टर ने दिवाली पर बेटी लक्ष्मी से मुलाकात की थी।
सीकर: प्रदेश में सबसे ज्यादा 13 बेटियां गोद, हर महीने छात्रवृत्ति

प्रदेश में सीकर ही एकमात्र ऐसा जिला है जहां के कलक्टरों ने सबसे ज्यादा बेटी इस योजना के तहत गोद ली है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भी चार बेटियों को गोद लिया गया है। फिलहाल सीकर जिला कलक्टर अविचल चतुर्वेदी ने 13 बेटियों को गोद ले रखा है। इन बेटियों को हर महीने 500 रुपए की छात्रवृत्ति, सालाना स्कूल-कॉलेज की फीस, स्टेशनरी, डे्रस आदि दी जाती है। जिला प्रशासन ने जिला री लाडली कल्याण समिति भी बना रखी है। समिति के सचिव राकेश लाटा ने बताया कि इसी समिति के जरिए अन्य निराश्रित बेटियों को भी उच्च शिक्षा के लिए सहायता राशि दी जाती है। अब तक 15 लाख रुपए की राशि दी जा चुकी है।
बीकानेर: सबसे ज्यादा गोद दिलाई बेटी, अब सिर्फ एक
आपणी बेटी योजना में बीकानेर की तत्कालीन जिला कलक्टर आरती डोगरा ने खुद के साथ चिकित्सकों को भी बेटी गोद दिलाई थी। अकेले बीकानेर जिले में 50 से अधिक बेटी गोद दिलाई थी। अब सिर्फ एक बेटी प्रशासन ने गोद ले रखी है।

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