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अनूठा न्याय: अदालत ने फैसला सुनाकर परिवार में अच्छे माहौल के लिए पक्षकारों को दिया यह अनूठा तोहफा

locationसीकरPublished: Jul 14, 2019 12:11:25 pm

Submitted by:

Vinod Chauhan

सीकर। विधिक सेवा प्राधीकरण की ओर से शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में इस बार नवाचार किया गया।

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अनूठा न्याय: अदालत ने फैसला सुनाकर परिवार में अच्छे माहौल के लिए पक्षकारों को दिया यह अनूठा तोहफा

सीकर। विधिक सेवा प्राधीकरण की ओर से शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में इस बार नवाचार किया गया। मामले के फैसलों के साथ पक्षकारों को पौधे बांटे गए। ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ परिवार में खुशहाली का माहौल रहे। जिला मुख्यालय सहित रींगस, नीमकाथाना, दांतारामगढ़, श्रीमाधोपुर, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़ के राजस्व न्यायालयों में आयोजित लोक अदालतों में 1507 प्रकरणों का राजीनामे से निस्तारण किया गया। लोक अदालत का उद्घाटन सुबह जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र प्रकाश शर्मा व न्यायिक अधिकारियों ने न्यायालय परिसर में पौधारोपण कर किया। जिला विधिक सेवा प्राधीकरण के सचिव जगत सिंह पंवार ने बताया कि लोक अदालत के लिए राजीनामा योग्य आपराधिक, सिविल, बैंकों की वसूली, पारिवारिक समेत 6689 प्रकरण चिह्नित किए गए थे। इनमें से 1507 प्रकरणों का निस्तारण कर दिया गया। लोक अदालत के लिए 25 बैंचों का गठन किया गया था। इस दौरान 14 करोड़ 71 लाख 38 हजार रुपए के अवार्ड पारित किए गए।

वर्षों बाद एक हुए पांच दंपत्ती
लोक अदालत के दौरान पारिवारिक न्यायालय में समझाइश से वर्षों बाद पांच दंपत्ती साथ में रहने को राजी हुए। इस पर उन्हें माला पहनाने के साथ पौधा भी भैंट किया गया। 90 वर्ष की वृद्धा प्रथम तल पर स्थित बैंच में जाने से असमर्थ होने पर बैंच के अध्यक्ष मुकुल गहलोत ने नीचे हैल्प डेस्क पर आकर राजीनामा तस्दीक करवाया। इस दौरान दस वर्ष से चल रहे मारपीट, जमीनी विवाद से संबंधित दस वर्ष से अधिक पुराने मामलों का भी निस्तारण किया गया।

सोना बेचने के बाद भी निकाल दी वसूली
गोल्ड पर लोन देने वाली कंपनी ने सोना बेचने के बाद भी पीडि़त की वसूली निकाल दी। मामला लोक अदालत में पहुंचा तो पीडि़त ने कहा कि कंपनी ने उसके सोने को बेच कर अधिशेष राशि का भुगतान पहले ही कर दिया था। अब बकाया निकाला जा रहा है। न्यायाधीश ने बकाया वसूली निरस्त कर दी। लोक अदालत में स्थाई लोक अदालत अध्यक्ष अशोक व्यास, एमएसीटी न्यायाधीश तारा अग्रवाल, पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश तिरूपति गुप्ता, एडीजे सुनील विश्नोई, सुरेन्द्र पुरोहित, महेन्द्र ढाबी, एसीजेएम किर्ती सिंहमार, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रशांत पूनिया, आभा गहलोत व कई अधिवक्ता उपस्थित थे।

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