झारखंड में तैनात सिकंदर छुट्टी बिताने घर आ रहा था, तभी यह हादसा हो गया। पांच दिन बाद जैसे ही जवान का शव भूदोली पहुंचा तो घर पर कोहराम मच गया। बहन शिक्षावती ने छोटे भाई सिकंदर के ताबूत से लिपट कर अधिकारी से बोली, साहब! आखरी बार भाई की कलाई पर रक्षासूत्र तो बांध लेने दो। इस दृश्य देख हर किसी का दिल पसीज गया।
सात जन्मों की डोर छह माह में ही टूटी, शादी की साड़ी से लगाया मौत को गले
इकलौती बहन इकलौते भाई को ताबूत के राखी बांध अंतिम यात्रा में शामिल होकर मोक्षधाम पहुंची। जहां उपखंड अधिकारी अंजू शर्मा, तहसीलदार बृजेश गुप्ता, सीआरपीएफ के अधिकारी, पूर्व विधायक रमेश खंडेलवाल सहित ग्रामीणों ने पुष्प अर्पित किए। इसके बाद सीआरपीएफ टीम से आए जवानों ने सिकंदर को अंतिम सलामी दी।
मेरे पापा कहां गए ?
सिकंदर सिंह के पांच वर्षीय बेटे विशाल ने पिता को मुखाग्नि दी। विशाल हर किसी से पूछ रहा था मेरे पापा कहां गए। हालांकि इस प्रश्न का जवाब किसी के पास नहीं था। पत्नी मितलेश कंवर और मां वीरवती देवी के आंख से आंसु रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। जवान इकलौता पुत्र था। पिता धर्मसिंह की पहले ही मौत हो चुकी है। परिवार में यही एक कमाने वाला था। अंतिम संस्कार के दौरान इस मौके पर सरपंच प्रमोद कुमार वर्मा, पूर्व सरपंच सुरेश शर्मा, चतर सिंह, रोहिताश मीणा सहित अनेक ग्रामीण उपस्थित थे। ( CRPF Jawan Funeral in neem ka thana Sikar )