देर से ही आए दुरूस्त आए…! मासूमों को हुई फ्रिक, एक ही झटके में बस्ते का बोझ किया आधा
सीकरPublished: Aug 05, 2019 06:09:14 pm
शिक्षा मंत्री का नई पहल। पहले चरण में प्रदेश के 33 स्कूल में होगा नवाचार, बाद में सभी जगह बच्चों को मिलेगी मुक्ति।
देर से ही आए दुरूस्त आए…! मासूमों को हुई फ्रिक, एक ही झटके में बस्ते का बोझ किया आधा
सीकर. प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के नवाचार के बाद अब शिक्षा विभाग विद्यार्थियों को दस से 15 किलो के बैग के बोझ को कम करने की तैयारी में है। शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने बताया कि इसी सत्र से प्रदेश के सभी जिलों के एक-एक हिन्दी माध्यम स्कूलों में बस्ते का वजन कम करने की कवायद शुरू की जाएगी। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो अगले साल से प्रदेश के अन्य स्कूलों में भी इस योजना को लागू किया जाएगा। इसका फायदा कक्षा एक से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को मिलेगा। लंबे समय से प्रदेश के निजी व सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के बस्ते के वजन कम करने की मांग अभिभावक उठा रहे थे। इस दिशा में अब शिक्षा राज्य मंत्री ने कदम आगे बढ़ाया जाएगा। इस संबंध में शिक्षा विभाग आगामी एक-दो दिन में शिक्षाविद्, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि व अभिभावकों से बातचीत कर इस योजना के संबंध में आदेश जारी करेगा।
निजी से सहयोग
प्रदेश के 33 स्कूलों में बैग का बोझ कम करने के लिए निजी संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा, ताकि अभिभावकों पर किसी तरह का आर्थिक बोझ नहीं पड़े। सरकार के इस प्रस्ताव पर कुछ स्वयंसेवी संस्था आगे भी आयी है। शेखावाटी की कई संस्थाओं ने इस योजना में सहयोग का आश्वासन दिया है।
मनमर्जी पर लगाम
निजी स्कूलों में पाठयक्रम व आए दिन फीस में वृद्धि करने वाले शिक्षण संस्थानों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। अभिभावकों की लगातार मिल रही शिकायतों को गंभीरता से लिया जाएगा।
पढ़ाई पहले…
उन्होंने बताया कि पहले चरण में प्रिसिंपल व फस्र्ट ग्रेड व्याख्याताओं के तबादले होंगे। शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि राजस्थान लोक सेवा आयोग ने अभी द्वितीय श्रेणी शिक्षकों का परिणाम जारी किया है। इन शिक्षकों के विद्यालयों में कार्यग्रहण करने के बाद द्वितीय श्रेणी के भी तबादले किए जांएगे।
ऐसे कम होगा बस्ते का बोझ…
शिक्षा विभाग की ओर से फिलहाल विद्यार्थियों की परख योजना के आधार पर पढ़ाई जाती है। ऐसे में शिक्षा विभाग इस योजना के तहत दो महीने में पढ़ाए जाने वाले सभी पुस्तकों के पाठों को सैट बनाया जाएगा। विद्यार्थी दो महीने तक उसी सैट को लेकर आएगा। इसके बाद अगले दो महीने दूसरे पाठों के सैट को लेकर आएंगे। पाठों के आधार पर सैट बनाने में जो भी खर्चा आएगा उसका भार स्वयंसेवी संस्थाए उठाएगी।