नीमकाथाना से नजदीक होने के चलते यहां के ग्रामीण नीमकाथाना पंचायत समिति में शामिल होना चाहते थे। जिसको लेकर उन्होंने आंदोलन शुरू करने के साथ पंचायत चुनावों का लगातार 9 बार बहिष्कार किया गया था। इसके बाद सरकार ने पिछले महीने ही आदेश जारी कर दयाल की नांगल को वापस नीमकाथाना पंचायत समिति में शामिल कर ग्रामीणों की मांग पूरी की थी। जिसके बाद ही आज चुनाव कराए जा सके। जिसमें करीब 3 हजार मतदाताओं ने मतदान का प्रयोग किया।
दयाल की नांगल गांव की अब तक खबरें
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यह है पूरा घटनाक्रम
-राजस्थान सरकार ने पंचायतों के पुनर्गठन के दौरान ने गांव दयाल की नांगल को नीमकाथाना से हटाकर नवगठित पंचायत समिति पाटन के अधीन कर दिया।
-पाटन गांव दयाल की नांगल से दूर है और ग्रामीण नीमकाथाना पंचायत समिति के अधीन ही रहना चाह रहे थे।
-सरकार ने ग्रामीणों ने यह मांग नहीं तो उन्होंने संघर्ष समिति गठित कर चुनाव बहिष्कार को हथियार बनाया। -वर्ष 2015 में हुए पंचायती राज के चुनाव में गांव दयाल की नांगल में किसी भी ग्रामीण ने वोट नहीं डाला।
– प्रशासन को चेतावनी दी कि जब तक उनके गांव को पहले कि भांति नीमकाथाना पंचायत समिति में नहीं मिलाया जाएगा वे किसी भी चुनाव में भाग नहीं लेंगे।
-प्रशासन समय-समय गांव की दयाल की नांगल में चुनाव करवाने का प्रयास किया, मगर बार यहां से मतदान दल को बैरंग लौटना पड़ा।
-वर्ष 2015 से लेकर 2018 तक गांव दयाल की नांगल के लोगों सरपंच के चुनाव का नौ बार किया।
-हर बार प्रशासन ग्रामीणों की एकता के आगे यहां चुनाव नहीं हो सके। आखिरकर ग्रामीणों की एक जुटता के सामने सरकार को झुकना पड़ा।
-10 सितम्बर 2018 को सरकार ने एक आदेश जारी कर दयाल की नागल को पाटन से पृथक कर नीमकाथाना पंचायत समिति में वापिस सम्मिलित करने कि घोषणा की।