scriptकर्मचारी संगठनों की मांग फिर भी यहां रसूखदार तय करते हैं ड्यूटी | Demand of employees' organizations still dictates duty in roadways | Patrika News

कर्मचारी संगठनों की मांग फिर भी यहां रसूखदार तय करते हैं ड्यूटी

locationसीकरPublished: Aug 31, 2019 10:24:55 pm

Submitted by:

Puran

रोडवेज में रात्रि विश्राम की राशि नहीं, मनमर्जी की कमाई आ रही रास90 रुपए प्रति ट्रिप रात्रि भत्ता
फिर भी कर्मचारियों को रास आ रही लम्बी दूरी की बस
राजस्थान रोडवेज में प्रति ट्रिप रात्रि विश्राम के महज 90 रुपए

कर्मचारी संगठनों की मांग फिर भी यहां रसूखदार तय करते हैं ड्यूटी

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सीकर. सीकर डिपो में अधिकारियों की लापरवाही का दंश कर्मचारियों को भोगना पड़ रहा है। कर्मचारी यूनियनों की लम्बे समय सीनियरटी लागू करने की मांग है जिसे अधिकारी लगातार दरकिनार करते आ रहे है। इसका नतीजा है कि कि डिपो से दिल्ली या दूसरे राज्यों के लिए चलने वाली बसों में स्टॉफ की ड्यूटी अधिकारी नहीं रसूखदार तय करते हैं। हालांकि डिपो प्रशासन का तर्क है कि डिपो में स्टॉफ की ड्यूटी रोटेशन के आधार पर तय की जाती है। जबकि हकीकत यह है कि यह हकीकत है सीकर डिपो की। डिपो में प्रति दिन औसतन दो दर्जन से अधिक दिल्ली, चंढीगढ सरीखे मार्गों पर बसें चलती है। इन बसों में ड्यूटी के लिए चालक व परिचालकों में खासा आकर्षण रहता है। खास बात है कि इन बसों में ड्यूटी लगवाने और कटवाने के लिए कई बार कर्मचारियों के बीच विवाद तक हो चुका है। इसका फायदा उठाकर ही डिपो को चूना लगाया जा रहा है।
यह है कारण

राजस्थान रोडवेज में रात्रि विश्राम की राशि प्रति ट्रिप महज 90 रुपए ही दी जा रही हो जबकि राात्रि में न तो फ्लाइंग का डर, मनमर्जी से स्टॉपेज पर गाडियों को रोकना, कई बार तो बस को बीच रास्ते में खराब दिखाकर मनचाही जगह या होटल पर रुक जाने की सुविधा कर्मचारियों को रास आ रही है। कई कर्मचारियों का मानना है कि रोडवेज की ओर से दिया जाने वाला रात्रि भत्ता तो महज सुलभ सुविधाओं में खर्च हो जाता है। यही कारण है कि परिचालक रात्रि विश्राम के लिए अनैतिक साधनों को अपना लेते हैं।
ये है हकीकत

रोडवेज चालक व परिचालक को एक ट्रिप में रात्रि भत्ता 90 रुपए मिलता है। परिचालकों को एक बिस्तर के लिए 40 रुपए, खाना के लिए 70 रुपए व सुलभ सुविधाओं के लिए 20 रुपए देने होते हैं। ऐसे में परिचालक इस राशि को खुद की जेब से देने की बजाए यात्रियों के किराए से निकालने का प्रयास करता है। यही कारण है अधिकारी भी इन बसों का चैक नहीं करते हैं।
इनका कहना है

डिपो की फ्लाइंग लगातार जांच करती रहती है। फ्लाइंग की ओर स- मुकन सिंह , प्रबंधक यातायात

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