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डेंगू का मच्छर जेब को भी काटता है…!

locationसीकरPublished: Sep 12, 2019 05:38:49 pm

Submitted by:

Gaurav

प्रदेश में डेंगू से पार नहीं पाया जा रहा है। हर साल इस बीमारी के इलाज और बचाव के नाम पर करोड़ों स्वाह हो रहे हैं। प्रदेश में यह आंकड़ा 250 करोड़ से ऊपर है।

डेंगू का मच्छर जेब को भी काटता है...!

डेंगू का मच्छर जेब को भी काटता है…!

सीकर. मरीजों का दुर्भाग्य कहें या चिकित्सकों की लूट। प्रदेश में डेंगू और मौसमी बीमारियों के इलाज और बचाव के लिए हर साल करोड़ो रुपए स्वाह हो चुके हैं लेकिन हाल यह है कि हर साल डेंगू, स्वाइन फ्लू की रोकथाम में चिकित्सा विभाग का लम्बा चौड़ा अमला नाकाम रहता है। खास बात यह है कि इन बीमारियां के साथ-साथ इनकी दवा और जांच का कारोबार बढ़ता जा रहा है और मरीजों की जेब से जानलेवा इन बीमारियों के इलाज के नाम पर लाखों रुपए झटक लिए जाते हैं। पिछले सालों का ट्रेंड देंखे तो सीकर में दवा का कारोबार अगस्त माह में ही दस करोड़ से ज्यादा बढ़ जाता है। जबकि प्रदेश में यह दवा का कारोबार 250 करोड़ तक पहुंच जाता है। गौरतलब है कि मच्छर जनित बीमारियों के बचाव के लिए चिकित्सा विभाग की ओर फोगिंग, एंटीलार्वल कार्रवाई और बीमार होने पर उपचार की राशि को जोड़ी जाए यह आंकड़ा कई गुना बढ़ जाता है।
हर माह 75 लाख रुपए खर्च
सीकर के अस्पतालों में अगस्त माह में औसतन आउटडोर 30 हजार मरीजों तक पहुंच जाता है। इनमें 7500 से ज्यादा मरीज मौसमी बीमारियों के पीडि़त मिलते हैं। एक मरीज पर जांच और दवा खर्च की औसत राशि एक हजार रुपए के हिसाब से 75 लाख तक पहुंच जाती है।
एक मरीज पर सवा लाख खर्च
प्रदेश में पिछले आठ माह में डेंगू के 529 मरीज सामने आ चुके हैं सीकर जिले के सरकारी अस्पतालों में 26 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। ये मरीज तो वे जिनकी एलाइजा के बाद पुष्टि हुई है। चिकित्सा विभाग भी मान रहा है कि इन मरीजों पर करीब 30 लाख रुपए तक खर्च हो चुके हैं। वहीं निजी अस्पतालों में आने वाले मरीजों की संख्या देखी जाए तो यह बहुत ज्यादा है। चिकित्सकों के अनुसार एक मरीज में डेंगू की पुष्टि होने पर 80 हजार से लेकर सवा लाख रुपए तक खर्च हो जाते हैं।
1100 जगह जलभराव
चिकित्सा विभाग की ओर से हाल में कराए गए सर्वे के अनुसार जिले में करीब 1100 जगह बरसात का पानी भरा हुआ है। विभाग के अनुसार इन जगहों पर मच्छरों का घनत्व निर्धारित से ज्यादा है। समय रहते इसे दूर नहीं किया गया तो मौसमी बीमारियां बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी।

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