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राजभवन तक पहुंचा सांसद के आश्रम का विवाद, ऐन वक्त पर राज्यपाल का दौरा रद्द

locationसीकरPublished: Oct 17, 2021 10:48:49 am

सीकर. पिपराली स्थित वैदिक आश्रम में प्रस्तावित राज्यपाल के दौरे को लेकर तीन दिन से जारी सियासी ड्रामा शनिवार को ‘द ग्रेट पॉलटिकल थियेटर’ में तब्दील हो गया।

राजभवन तक पहुंचा सांसद के आश्रम का विवाद, ऐन वक्त पर राज्यपाल का दौरा रद्द

राजभवन तक पहुंचा सांसद के आश्रम का विवाद, ऐन वक्त पर राज्यपाल का दौरा रद्द

सीकर. पिपराली स्थित वैदिक आश्रम में प्रस्तावित राज्यपाल के दौरे को लेकर तीन दिन से जारी सियासी ड्रामा शनिवार को ‘द ग्रेट पॉलटिकल थियेटर’ में तब्दील हो गया। विवादों से दूर रखने के लिए राज्यपाल का सीकर दौरा आखिरी समय पर रद्द कर दिया गया। इस नाटकीय सियासी घटनाक्रम में सबसे ज्यादा गूंज सांसद के आश्रम की जमीन की रही। पिछले लोकसभा चुनाव के समय भी सांसद के आश्रम की जमीन को लेकर खूब सियासत हुई थी। सांसद के नामांकन के दिन आश्रम की जमीन की जमाबंदी के पर्चे बांटे गए थे। अब फिर से वही विवाद सामने आया है। इसको लेकर सांसद, जिला प्रशासन व किसान नेताओं के अपने-अपने तर्क हैं। पत्रिका ने इस मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि राजभवन किसी भी तरह के विवाद का हिस्सा नहीं बनना चाहता था। ऐन वक्त पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय विवि और पिपराली स्थित आश्रम के कार्यक्रम रद्द कर दिए गए। ऐसे में विवि के कार्यक्रम स्थगित होना तय है लेकिन पिपराली स्थित वैदिक आश्रम में ग्रामीण व गणमान्य लोगों की मौजूदगी में तीन महीने से जारी यज्ञ का समापन होगा।


पत्रिका पड़ताल: ऐसे शुरू हुआ विवाद…आखिर इसलिए दौरा रद्द

1. दौरा तय होते ही किसान हो गए थे लामबंद
पिछले सप्ताह ही राज्यपाल का सीकर दौरा तय हुआ था। इसके साथ पर्दे के पीछे की सियासत घूमी। किसानों ने कृषि कानूनों को वापस लेने से पहले कोई भी कार्यक्रम नहीं करने की चेतावनी दे दी। मानना था कि राज्यपाल का दौरा रद्द होगा तो सियासी तौर पर सांसद बैकफुट पर आएंगे।


2. राजभवन तक भेजी शिकायत

किसानों के इस आंदोलन में विपक्ष भी शामिल हुआ। राजभवन को भी सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर शिकायत दी। राजभवन ने इस मामले में जिला प्रशासन के जरिए पूरी जानकारी भी ली। किसानों ने ताकत दिखाने के लिए पिपराली गांव में विरोध सभा भी की।

3. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आए तो किसान पहुंचे थाने

इधर, राज्यपाल के दौरे से पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां भी शनिवार सुबह पिपराली पहुंच गए। इससे किसानों का आक्रोश और बढ़ गया। किसानों ने राज्यपाल को काले झंडे दिखाने की चेतावनी का अलर्ट जारी कर दिया। प्रशासन ने पूरे मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट सरकार को भी भिजवा दी। इधर, किसानों ने चारागाह जमीन पर आश्रम होने की शिकायत दादिया थाने में दी है। देर रात तक मामला दर्ज होने का दावा भी किया जा रहा है।


4. शाम को मैसेज आया दौरा रद्द

यज्ञ के कार्यक्रम का सियायत से जुडऩे का मामला राजभवन तक भी पहुंच गया। इस पर राजभवन के अधिकारियों ने राज्यपाल की सहमति से शनिवार देर शाम अधिकृत कार्यक्रम रद्द होने की सूचना जारी कर दी।
5. पिपराली सरपंचाई भी विवाद की जड़

पंचायत चुनाव के बाद से सांसद के आश्रम वाले गांव पिपराली में सियासी पारा उफान पर है। दरअसल, यहां दो गुट बने हुए हैं। दोनों गुटों की प्रतिष्ठा की जंग की वजह से भी यह सियासत और तेज हुई।

यह है विवाद: सांसद का जहां आश्रम, वो जमीन गौशाला, अस्पताल व स्कूल के नाम

पिपराली गांव में सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती का आश्रम है। यहां गौशाला भी संचालित है। गौशाला की जमीन गौशाला के नाम से आवंटित है। इसी के पास की जमीन जिस पर सांसद का आश्रम है वह राजस्व रेकार्ड में फिलहाल अस्पताल व स्कूल के नाम से दर्ज है। इस जमीन पर वैदिक आश्रम पिपराली को बिजली कनेक्शन भी मिला हुआ है। सरकारी जमीन होने की वजह से संस्था के नाम राजस्व रेकार्ड में दर्ज नहीं हो सकी। इस जमीन पर संस्थान का 25 से 30 वर्ष से कब्जा है। इस चारागाह भूमि के खसरा नंबर 5207/1069 है। पड़ताल में सामने आया कि पिछले 20 सालों में कई बार शिकायत हुई लेकिन मामला जांच में उलझा हुआ है।


चुनावी मैदान में उतरे तब भी सामने आए थे ये दस्तावेज

संत सुमेधानंद सरस्वती लंबे अर्से से सीकर में सक्रिय है। जैसे ही वे चुनावी मैदान में लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर सामने आए तो विपक्ष ने पहली बार इस जमीन के दस्तावेज दिखाए थे।

आमजन को मिली राहत
राज्यपाल का दौरा भले ही रद्द हो गया लेकिन आमजन को राहत मिल गई। क्योंकि टूटी सड़क से लेकर हाईमास्ट व सफाई सहित अन्य कार्य दौरे की आहट के साथ ही शुरू हो गए थे।

कार्यक्रम रद्द होने की सूचना मिली: कलक्टर

राजभवन से कार्यक्रम रद्द होने की जानकारी मिली है। इसलिए व्यवस्थाओं के लिए जारी किए आदेश वापस ले लिए हैं। किसानों ने सरकारी जमीन पर आश्रम बने होने की शिकायत दी है। इसकी निश्चित तौर पर जांच कराई जाएगी।
अविचल चतुर्वेदी, जिला कलक्टर, सीकर


मेरे आश्रम पर भाजपा की बैठक तो छोड़ झंडा तक नहीं: सांसद

कुछ लोग धार्मिक आयोजन में भी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं। यह निन्दनीय है। मेरे आश्रम में आज तक कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं हुई। भाजपा की बैठक तो दूर पार्टी का झंडा तक नहीं है। आश्रम में धार्मिक गतिविधि ही होती है। राजनीतिक चर्चाओं के लिए सीकर में अलग कार्यालय है। मैं तो विरासत में मिली संपत्ति को छोड़कर संत बना हूं। कब्जे जैसे आरोप सरासर झूठे हैं। पिछले 35-40 सालों से सामाजिक जागरण के कार्य में लगा हूं। मैं तो एक अटैची में चार जोड़ी कपड़े रखता हूं। मैं क्यों सरकारी जमीन पर कब्जा करूंगा।
सुमेधानंद सरस्वती, सांसद, सीकर


सांसद का आश्रम सरकारी जमीन पर: कांग्रेस

सांसद का आश्रम सरकारी जमीन पर बना हुआ है। यह बात कई बार साबित हो चुकी है। जिला कलक्टर को भी इसकी पिछले दिनों सूचना दी थी। इसके बाद भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की तो दादिया थाने में मामला दर्ज कराया है। जमाबंदी सहित अन्य दस्तावेजों से प्रमाणित हो चुका है कि सांसद का आश्रम सरकारी जमीन पर ही है।
राजेन्द्र झूरिया, प्रदेश अध्यक्ष, किसान कांग्रेस


चारागाह जमीन को बनाया राजनीतिक अखाड़ा: किसान

सांसद ने पिपराली गांव की 30 बीघा जमीन को राजनीतिक अखाड़ा बना दिया है। इस मामले में पिपराली के कुछ किसानों ने विरोध कर आंदोलन की सहमति मांगी थी। किसानों को लेकर सांसद की ओर से लगातार गलत टिप्पणी की जाती रही है। हमारा किसी भी दल से कोई कनेक्शन नहीं है।
दिनेश जाखड़, जिलाध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन टिकैत

सांसद किसानों के मुद्दे पर बातचीत करने को तैयार नहीं है। पिछले दिनों धोद में किसी कार्यक्रम में सांसद से मुलाकात हुई थी। लेकिन जिले के किसानों को कोई संतुष्टीपूर्ण जवाब नहीं दिया। सांसद से कोई निजी दुश्मनी नहीं है बात बस किसानों के मुद्दे की है।
पूर्णमल सुण्डा, प्रदेश संयोजक, किसान आंदोलन संघर्ष समिति

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