जमीन के बंटवारे व गोदनामे के दस्तावेजों की भाषा की चूक ने सीकर, चूरू व झुंझुनंू जिले के सैकड़ों परिवारों की मुसीबत बढ़ गई है। पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग ने भाषा की गलती को पकड़ते हुए रिकवरी के नोटिस जारी कर दिए है। दूसरी तरफ विभाग के डीआईजी अनिल महला की ओर से शेखावाटी में जलदाय, विद्युत निगम व नगर परिषद कार्यालयों के निरीक्षण के दौरान भी नोटरी के दस्तावेजों से स्टाम्प चोरी के मामले पकड़े है। विभाग ने पिछले दिनों तीनों जिलों में 334 फाइलों में इस तरह का घपला पकड़ा है। इस पर विभाग की ओर से नोटिस भी जारी किए गए है। लेकिन कोरोनाकाल में लोगों को विभाग की ओर से ब्याज व जुर्माने में छूट दी जा रही है। इस कारण लोग राशि जमा कराने के लिए भी आगे आ रहे हैं। विभाग के डीआईजी का कहना है कि वसीयत व गोदनामे सहित अन्य दस्तावेज अधिकृत व्यक्ति से ही तैयार कराने चाहिए, इससे भविष्य में किसी तरह का पेंच फंसने की संभावना काफी कम रहती है।
नोटरी से जमीन खरीदने का चलन ज्यादा, बाद में लग रहा झटका शेखावाटी में नोटरी के कागजों से जमीन खरीदने का चलन सबसे ज्यादा है। लोग रजिस्ट्री कम करवाते हैं और इसी नोटरी के आधार पर जमीन आगे बेचने का सिलसिला चलता रहा है। इसके बाद जब कोई खरीददार इस जमीन की रजिस्ट्री करवा लेता है तो उसे उस वक्त तो रजिस्ट्री का स्टांप शुल्क लेकर पंजीयन कर दिया जाता है लेकिन बाद में उसकी पुरानी नोटरी की भी रिकवरी निकाली जा रही। कई मामले ऐसे सामने हैं जिनमें 15 से 20 साल पहले जमीन बेची गई और बीच में दो बार नोटरी पब्लिक से कागजात बनवाकर आगे बेच दी गई। इस तरह के मामलों में अब पंजीयन मुद्रांक विभाग ने बीच में जब-जब जमीन बेची गई उन नोटरी के कागजों की भी स्टांप ड्यूटी वसूलने के लिए अब नोटिस निकाले है।
इन दो मामलों से समझें, छोटी चूक कैसे पड़ रही भारी केस एक: एक लाइन की चूक, 27 लाख का जुर्माना दांतारामगढ़ उपखंड क्षेत्र के एक व्यक्ति ने अपने तीन बेटों के लिए अपनी जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी जारी कर दी। इसके बाद इस पावर ऑफ अटॉर्नी को पंजीयन विभाग में रजिस्टर्ड भी करवा लिया। इसकी फीस महज दो हजार भरनी थी। उन्होंने वह राशि भी जमा करवा दी। लेकिन जिस भी व्यक्ति ने इस पावर ऑफ अटॉर्नी की डीड बनाई थी उसने इसमें एक लाइन यह लिख दी कि वे चाहकर भी इस पावर ऑफ अटॉर्नी को वापस नहीं ले सकेंगे। यही एक लाइन लिखना उस व्यक्ति को महंगा पड़ गया। पंजीयन और मुद्रांक विभाग ने इसे जमीन की बिक्री मान लिया और अब इस जमीन में 27 लाख रूपए की रिकवरी निकाली गई है।
केस दो: भूखंड से ज्यादा राशि का जुर्माना सीकर निवासी एक व्यक्ति ने एक प्लॉट खरीदा और उस प्लॉट की नोटरी बनी हुई थी। जिस प्लॉट को नोटरी से खरीदा उसकी उस व्यक्ति ने रजिस्ट्री करवा ली और पूरा स्टांप शुल्क भी भर दिया। लेकिन अब पंजीयन और मुद्रांक विभाग ने यह कहते हुए रिकवरी निकाली है कि 1997 में वही प्लॉट नोटरी पब्लिक से बेचा गया था। इसलिए उस वक्त की स्टांप ड्यूटी भी जमीन के मालिक को भरनी होगी। जबकि जिस व्यक्ति ने अब जमीन खरीदी उसने पूरी स्टांप ड्यूटी भरी है लेकिन पहले की राशि उसे भरनी होगी।
इनका कहना है आमजन को नोटरी से प्लॉट नहीं खरीदना चाहिए। नोटरी से भूखण्ड खरीदने पर कई बार पुरानी उधारी भी निकल जाती है। उस समय भूखण्ड मालिक को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सीकर, चूरू व झुंझुनूं जिले में इस तरह के सैकड़ों मामले इन दिनों सामने आए है। इसलिए भूखंड को रजिस्टर्ड करवा कर ही खरीदना चाहिए। जब भी डीड बनवाए तो एक्सपर्ट व्यक्ति से बनवाए ताकि उसकी भाषा में कोई गलफत नहीं रहे।
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