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सिर में बार-बार दर्द तो नहीं बरते लापरवाही

locationसीकरPublished: Jun 07, 2019 09:53:19 pm

Submitted by:

Puran

बच्चों में तेजी से बढ़ रहा है ब्रेन ट्यूमर
हर माह पांच से सात नए रोगी आ रहे हैं सामने

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सिर में बार-बार दर्द तो नहीं बरते लापरवाही

सीकर. बार-बार सिरदर्द, उल्टी आने जैसे लक्षणों को लेकर लापरवाही जानलेवा हो सकती है। वजह लगातार सिरदर्द ब्रेन ट्यूमर का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि एसके अस्पताल की ओपीडी में हर माह ब्रेन ट्यूमर के पांच से सात नए रोगी सामने आते हैं। चिकित्सकों के अनुसार बे्रन ट्यूमर का उपचार नहीं कराने से केवल तीन प्रतिशत ही रोगी बच पाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा प्रतिशत बच्चों का होता है हालांकि समय रहते सीटी स्केन जैसी जांच कराने और उपचार लेने से ब्रेन ट्यमूर को कंट्रोल किया जा सकता है। साथ ही सर्जरी जैसी भयावह स्थिति से बचा जा सकता है। चिकित्सकों के अनुसार देश में रोजाना ब्रेन ट्यूमर से पीडि़त होने वाले पांच सौ से अधिक सामने आ जाते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार प्रत्येक दस हजार रोगियों में ब्रेन ट्यूमर के पांच से सात मरीज मिलते हैं। गौरतलब है कि जिला अस्पताल में मेडिसिन की ओपीडी रोजाना औसतन एक हजार मरीज रहती है।
एक साल में 15 प्रतिशत बढ़ा

देश में एक साल पहले मस्तिष्क के कैंसर के रोगियों में बच्चों की संख्या महज पांच प्रतिशत मिली है। जो कि अब बढकऱ 20 प्रतिशत तक पहुंच गई है। बच्चों में ल्यूकेमिया के बाद ब्रेन ट्यूमर सर्वाधिक सामान्य कैंसर होता है फिजिशियन डॉ. रघुनाथ प्रसाद और सर्जन डॉ. बीएस गढ़वाल की माने तो अधिकांश ट्यूमर से पीडि़त होने वाले रोगियों की संख्या ट्यूमर की तुलना में ब्रेन मेटास्टेसिस के कारण अधिक होती है। यह बच्चों में कैंसर का सबसे सामान्य प्रकार होता है। ब्रेन ट्यूमर बेहद घातक है, जिसकी वजह से मरीज बीमारी का पता चलने के 9 से 12 महीनों के भीतर मौत का शिकार हो जाता है। चिकित्सकीय रिपोर्ट के अनुसार ब्रेन ट्यूमर ज्यादातर लड़कियों में पाया जाता है। भारत सरकार ने ब्रेन ट्यूमर की रोकथाम, स्क्रीनिंग, रोग का जल्दी पता लगाने और उपचार प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम की शुरूआत भी की है।
यह है कारण

ब्रेन ट्यूमर 120 प्रकार के हैं और पीडि़तों के बचने की महज 3 प्रतिशत दर स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है। । पहले के मुकाबले इस बीमारी से पीडि़त बच्चों की संख्या बढ़ी है। इसका कारण खानपान की चीजों में रसायन और कीटनाशक का अत्यधिक इस्तेमाल होना है। इसके अलावा मोबाइल का अधिक इस्तेमाल भी ब्रेन ट्यूमर का कारण है। मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से ब्रेन ट्यूमर का 1.33 प्रतिशत बढ़ जाता है। कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (सीबीसी) के सर्वे में पता चला कि अगर मोबाइल को पेंट या कमीज की जेब में रखा जाए तो इससे शरीर को मिलने वाला रेडिएशन मानक स्तरों से ज्यादा होता है। –
यह है ब्रेन ट्यूमर

ट्यूमर मुख्यत दो प्रकार का होता है, जैसे कि घातक ट्यूमर और सौम्य ट्यूमर। जो ट्यूमर सीधे मस्तिष्क में विकसित होते हैं उन्हें प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ विनोद यादव के अनुसार जो ट्यूमर शरीर के अन्य भाग से मस्तिष्क में फैल जाते हैं, उन्हें सैकेंडरी या मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर दिमाग के जिस हिस्से में होता है, वहीं पर बढ़ता रहता है। सैकेंडरी ब्रेन ट्यूमर काफी आम है और इसकी शुरुआत शरीर के किसी भी एक हिस्से में होती है। जिसके बाद ये शरीर के अन्य हिस्से जैसे- दिमाग, किडनी, फेफड़े, ब्रेस्ट, कोलोन और स्किन में फैल जाता है।ब्रेन ट्यूमर के चलते मनुष्य के नर्वस सिस्टम की कार्यशैली प्रभावित हो जाती है। ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर होने के सही कारण स्पष्ट नहीं है। ब्रेन ट्यूमर के लक्षण उनके आकार, प्रकार और स्थान पर निर्भर करते हैं। इससे आसपास मौजूद टीश्यूज व ऑर्गन डैमेज होने लगते हैं।
दो माह से 80 साल के बच्चों में खतरा ज्यादा

ब्रेन ट्यूमर 2 माह के बच्चे से लेकर 80 साल तक किसी भी उम्र में हो सकता है। 20 से 40 वर्ष की आयु वाले ब्रेन ट्यूमर अमूमन बिना कैंसर वाले ट्यूमर होते हैं। शुरूआती चरण में इसका सफल उपचार संभव है। इसके अलावा सिर में लगातार तेज दर्द होता है। सिर के आकार में कोई बदलाव आ रहा है, अचानक मिर्गी के दौरे आना, बच्चों की आंखों की रोशनी कमजोर होने लगे, बार-बार चश्मे का नंबर बदलता रहे। बच्चों के कान में परेशानी जैसी समस्या हो तो यह ब्रेन ट्यूमर के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में तुरंत चिकित्सक को दिखाना जरूरी है।
हर ट्यूमर कैंसर का कारण नहीं

सभी ब्रेन ट्यूमर कैंसर नहीं होते और ऐसे ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के बाहर नहीं फैलते। ब्रेन ट्यूमर का इलाज अधिकतर ऑपरेशन के जरिए किया जाता है। इनमें से बहुत से ट्यूमर दूरबीन और नाक के रास्ते से भी निकाले जा सकते हैं। ऑपरेशन के बाद ट्यूमर की जांच की जाती है। जांच से ब्रेन ट्यूमर के आगे का इलाज रेडियो थेरेपी और कीमोथेरेपी से किया जाता है। सीकर जिले में न्यूरोलॉजिस्ट नहीं होने से ऐसे मरीजों को जांच में पुष्टि के बाद रेफर कर दिया जाता है।
एक साल बाद पता चलता है

ब्रेन ट्यूमर से पीडि़त 50 फीसदी मरीजों को एक साल बाद बीमारी का पता चलता है। 12-13 फीसदी मरीजों को तो बीमारी होने के पांच साल बाद पता चलता है। करीब 10 फीसदी मरीजों को तो 10 साल बाद इस खतरनाक रोग की जानकारी मिल पाती है। ब्रेन ट्यूमर की जांच सीटी स्कैन, पीईटी स्कैन, सेरेब्रल एंजियोग्राम, एमआरआई, एमआरआई स्पेक्ट्रोस्कोपी, एमआरआई कॉन्ट्रास्ट, परफ्यूजन एमआरआई, फंक्शनल एमआरआई के जरिए होती है। ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए सर्जिकल उपायों में शामिल है- माइक्रो सर्जरी, एंडोस्कोपिक सर्जरी, इमेज गाइडेड सर्जरी, इंटराऑपरेटिव मॉनिटरिंग। सर्जरी के साथ रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और टारगेटेड थेरेपी का प्रयोग उपचार के विकल्प के तौर पर किया जा सकता है।
सर्जरी ही विकल्प

ब्रेन ट्यूमर के लिए इंडोस्कोपिक सजर्री बेहतर विकल्प है। सर्जरी से मरीज को एनेस्थिसिया दिया जाता है और सिर के उस हिस्से से बालों को हटाया जाता है, जहां सर्जरी की जानी है। सर्जरी के दौरान खोपड़ी को खोला जाता है। इसके लिए सर्जन चीरा लगा कर स्कल से हड्डी का छोटा टुकड़ा काट कर हटा देते हैं। इसके बाद सर्जन ट्यूमर वाले हिस्से को बाहर निकालते हैं।
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