अनिवार्यता से मोहभंग
खास बात यह है कि जलदाय विभाग पानी की किल्लत का समाधान ढूंढऩे की बजाए पानी के टैंकरों पर जीपीएस लगाना जरूरी होने की बात कह रहा है। जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में टेलीफोन का नेटवर्क ही नहीं मिल रहा है। इसके बावजूद अनिवार्यता से ठेकेदारों का मोहभंग हो रहा है। इसका नतीजा है कि पेयजल टंैकरों पर जीपीएस लगाने को लेकर टैंडर तक नहीं हो सके हैं।
इन क्षेत्रों में सर्वाधिक किल्लत
पहाड़ी क्षेत्र में जलापूर्ति का स्त्रोत हैंडपंप होते हैं। बरसात के दिनों में चट्टानी क्षेत्रों में रिचार्ज तुरंत हो जाता है। ऐसे में पहाड़ी क्षेत्रों में बने पानी के स्रोत जल्दी सूख जाते हैं। यही कारण है कि जिले के नीमकाथाना, खंडेला, रींगस, अजीतगढ़ में गर्मियों के सीजन में सर्वाधिक पेयजल किल्लत होती है। इसके अलावा भूमिगत जलस्तर नीचे जाने से दांतारामगढ़ व धोद ब्लॉक के कई गांव व ढ़ाणियों में गर्मियों की जलापूर्ति टैंकरों के भरोसे ही रहती है।
यह है हकीकत
जिले में पानी की किल्लत नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर, दांतारामगढ़ व धोद क्षेत्र में ज्यादा है। वहीं कई जगह विभाग की सप्लाई में परेशानी के कारण भी पानी का संकट हो जाता है। नीमकाथाना, खंडेला व श्रीमाधोपुर इलाके में 650 से ज्यादा गांव व ढाणियों में पानी का संकट है। इसके बावजूद विभाग ने महज 424 गांव व ढाणी चिन्हित कर रखी है। विभाग की ओर से ग्रामीण इलाके में 116 मुख्य गांव व 330 ढाणियों में क्रमश: 355 और 197 चक्कर टैंकर लगा रहा है। वहीं श्रीमाधोपुर शहर में दो टैंकर 11 ट्रिप और खंडेला में तीन टैंकर 15 ट्रिप लगा रहे हैं।
कम है रुझानटैंकरों में जीपीएस लगाने की कवायद चल रही है। फिलहाल प्रायोगिक तौर पर एक उपकरण मंगवाया गया है। समस्या को देखते हुए जीपीएस के लिए आवेदन प्रक्रिया में ठेकेदारों का कम रुझान है। मुख्यालय को फाइल भेजी गई है। – मदन मीणा, एक्सइएन, पीएचइडी