-खेतड़ी, भूदोली व छावनी मार्ग के दोनों तरफ खड़े हंै सूखे पेड़
-गजानंद स्कूल के सामने पेड़ टूटने से टला बड़ा हादसा
सीकर
Published: April 22, 2022 09:10:57 am
Dry trees सीकर/नीमकाथाना. खेतड़ी मोड़ से निकलने वाले खेतड़ी, छावनी व भूदोली मार्ग पर सडक़ किनारे दोनों तरफ खड़े सूखे पेड़ हादसे को आमंत्रण दे रहे है। इन तीनों मार्गों पर दोनों तरफ जहां सैंकड़ों की संख्या में नीम, शीशम, पीपल सहित खड़े अन्य पेड़ पर्यावरण को स्वच्छ एवं यात्रियों को गर्मी में छाया दे रहे है। वहीं इन पेड़ो के बीच में कई बूढ़े पेड़ सूखकर गिरने के कगार पर है। इन पेड़ों से कभी भी बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। बुधवार को सुबह छावनी रोड स्थित राजकीय गजानंद मोदी स्कूल के सामने स्थित एक सूखे पेड़ का आधा हिस्सा टूट कर पास से गुजर रहे बिजली के तारों पर गिर गया। गनीमत रही कि बड़ा हादसा नहीं हुआ। इस पेड़ के नीचे साधन खड़े थे। पेड़ का आधा हिस्सा टूटकर दूसरी तरफ गिरा अन्यथा बड़ी अनहोनी हो जाती। शहरवासियों का आरोप है कि जिम्मेदार रोड चौड़ाइकरण को लेकर हरे पेड़ काटकर दूसरी जगह शिफ्ट कर रहे है। हरे पेड़ों को शिफ्ट करने के साथ-साथ सूखे पेड़ों को भी कटवाना चाहिए। ताकि कोई हादसा नहीं हो।
आंधी में टूट कर सडक़ पर गिरा था पेड़
कुछ दिनों पहले राजकीय एसएनकेपी कॉलेज के बाहर एक सूखा पेड़ आंधी के दौरान टूटकर सडक़ पर गिर गया था। रात का समय होने के कारण कोई हादसा नहीं हुआ। इसी प्रकार कई पेड़ो की डालियां सडकऱ आंधी की भेंट चढ़ चुके है लेकिन संयोग वश ये डालियां कभी किसी वाहन या पैदल राहगीर पर नहीं गिरी है। जबकि इन तीनों ही मार्गों पर दिनभर में हजारों की संख्या में लोग पैदल गुजरते है। साथी वाहन भी खुब गुजरते है।
लकड़ी चोरों की रहती है नजर
सडक़ किनारे खड़े सूखे पेड़ों पर लकड़ी चोरों की भी पैनी नजर रहती है। लकड़ी चोर न केवल सूखे पेड़ों को ही नहीं बल्कि हरे पेड़ों को भी अपना निशाना बना लेते हैं। चोरों का पेड़ों को चोरी करने का अंदाज भी अलग ही रहता है। पहले वे पेड़ को धीरे-धीरे उसकी जड़ के पास काटकर उसको कमजोर करते है। जैसे-जैसे पेड़ सूखता जाता है। वैसे ही उसकी टहनियां तोडकऱ ले जाते है। अंत में एक दिन वह पूरी तरह सूखकर ठूंठ बन जाता है। गर्मी के मौसम में आंधी चलने के दौरान लकड़ी चोर उस पर नजर रखते है। जैसे ही वह सडक़ पर गिर जाता है तो पेड़ को हटाने की सफाई दिखाते हुए वे उसको चोरी कर ले जाते है।
गुजरते हंै जिम्मेदार अधिकारी फिर भी मौन
तीनों ही मार्ग पर ऐसा नहीं है कि सूखे पेड़ों पर जिम्मेदार अधिकारियों की नजर नहीं पड़ती है। उनका इन मार्गों से दिनभर गुजरना रहता है। लेकिन सब कुछ देखकर अंजान बने रहना तो जैसे इनकी ड्यूटी में शुमार है। ऐसा नहीं है कि इन सूखे पड़ों को काटा नहीं जाएगा। कार्य सब होंगे लेकिन किसी बड़े हादसे के बाद सबक लेना जैसे सरकारी विभाग का कार्यशैली में हो गया है। हादसे के बाद जिम्मेदार पीडि़तों को मुआवजे दिलाने के साथ-साथ व्यवस्था को दुरूस्त करने की तुरंत योजना बनाई जाती है। ताकि उस समय लोगों को लगे की जिम्मेदारों को कितनी चिंता है।
आखिर कटवा क्यों नहीं रहे सूखे पेड़ ?
छावनी मार्ग पर सूखा पेड़ टूटकर सडक़ पर गिरना पहली बार नहीं हुआ है। शहर के कई इलाकों में ऐसे कई पेड़ हैं, जो कब गिर जाएं कहा नहीं जा सकता। लोगों का कहना है कि जान के लिए खतरा बन चुके सूखे पेड़ों का आखिर प्रशासन सर्वें करवाकर कटवा क्यों नहीं रहे? जबकि खतरनाक पेड़ो का काटने के नियम बने हुए है। फिर भी जिम्मेदार अनदेखी कर रहे है।
इनका कहना है....
निजी जमीन में सूखे पेड़ को काश्तकार अपने स्तर पर निकाल सकता है। नगर पालिका क्षेत्र को छोडकऱ कहीं पर भी हरे पेड़ों को काटने के लिए पहले अनुमति लेनी होती है। इसके बाद ही नियमों के तहत सूखे व हरे पेड़ काटे जा सकते है।
सत्यवीर यादव, तहसीलदार, नीमकाथाना
राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 242 के तहत विकास कार्य के दौरान बीच में आने वाले व खतरनाक पेड़ो को काटने के नियम है।
सूर्यकांत शर्मा, ईओ
नगर पालिका, नीमकाथाना
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