मामला सीकर जिला मुख्यालय के पास श्यामपुरा पूर्वी निवासी एक पीडिता का है। बरसों से पक्का मकान बना कर रह रहे पीडि़ता के मकान को मंगलवार को पुलिस और प्रशासन ने अतिक्रमण मानते हुए गिरा दिया। आरोप है कि समाज के किसी वर्ग तक इसकी सूचना नहीं लगे इस देखते हुए पीडि़ता और उसके बच्चों से मोबाइल छीन लिए गए।
बरसों से कर रहे गोपनीयता भंग
श्यामपुरा पूर्वी में रहने वाले पडौसी परिवार की ओर से लगातार इस भ्रम के कारण कि एचआईवी रोग फैल सकता है। इस कारण पीडि़ता को प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। दो वर्ष पहले तो पडौसी ने एचआईवी पीडि़ता के मकान के आगे मलबा डालकर रास्ता भी बंद कर दिया साथ ही पंचायत समिति से जेसीबी भिजवा कर पीडि़ता को परेशान किया। जिसकी शिकायत जिला कलक्टर को की गई तो कलक्टर ने भी इस कार्रवाई का गलत बताया था। इसके बावजूद कार्रवाई की गई है।
पहले किया चयन, फिर जारी किया कनेक्शन
ग्राम पंचायत की जिस भूमि को अतिक्रमित भूमि बताया था। उस स्थान पर ही बरसों से रहने वाली पीडि़ता का चयन ग्राम पंचायत ने बीपीएल में किया। बीपीएल में मिले कुछ अनुदान से उसने वहां कमरे का निर्माण किया। विद्युत निगम ने 2009 में बिजली का कनेक्शन जारी कर दिया। पीडि़ता ने बताया कि उसे यह बीमारी उसके पति के जरिए मिली है। इस बीमारी के कारण ही उसके पति की मौत हुई थी।
गलत है व्यवहार
पडौसी के दवाब के आकर पंचायत समिति की ओर से की गई कार्रवाई एचआईवी पीडि़ता के मूल अधिकार का हनन है। जिस ग्राम पंचायत ने पहले पीडि़तो का चयन बीपीएल में किया और उसमें मिली राशि से मकान का निर्माण करवाया और बिजली का कनेक्शन जारी किया गया। उसे अब किसी के दवाब में आकर गलत बताना प्रशासन की दुर्भावना है। इसकी शिकायत महिला आयोग व मानवाधिकार आयोग के समक्ष की जाएगी।
– विक्रम शर्मा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, विहान सीकर