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सीकर

10 साल पहले बच्चों से दस लाख रुपए लेकर भूला शिक्षा विभाग

एक दशक से जमा राशि को ब्याज सहित निकालकर काम में लेने की है जरुरत

सीकरDec 08, 2022 / 11:58 am

Ravinder Singh Rathor

10 साल पहले बच्चों से दस लाख रुपए लेकर भूला शिक्षा विभाग

10 साल पहले बच्चों से दस लाख रुपए लेकर भूला शिक्षा विभाग

शिक्षा विभाग एक दशक पहले बच्चों से 10 लाख रुपए लेकर भूल गया है। लंबे समय से बैंक खाते में जमा पैसा कोई काम नहीं आ रहा हैं। सत्र 2011-12 से पहले प्रारंभिक शिक्षा की स्कूलों के विद्यार्थियों से अर्द्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षाओं के पेपर प्रिटिंग व वितरण करने के लिए पैसा लिया जाता था, पर उसके बाद व्यवस्था बदल गई। लेकिन आदेश मिलने से पहले बच्चों का पैसा खाते में जमा हो चुका था। उस समय वो पैसा ना तो शिक्षा विभाग ने बच्चों को वापस लौटाया और ना ही किसी सदुउपयोग में लिया। राशि शिक्षा विभाग की फाइलों में दफन हो गई। अब इस राशि का बच्चों को वापस देने का तो कोई औचित्य नहीं हैं, लेकिन सभी की सहमति से इस राशि को सदु्उपयोग होना चाहिए।

आदेश से पहले पैसा जमा हो गया खाते में
जिले के राजकीय स्कूलों व निजी शिक्षण संस्थाओं के प्रश्न पत्र निर्माण और वितरण का कार्य सर माधव स्कूल की ओर से ही किया जाता था। जिला समान परीक्षा के अध्यक्ष जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा तथा संयोजक सर माधव स्कूल के संस्था प्रधान होते थे। स्कूल में पेपर प्रिटिंग एवं वितरण के लिए स्कूल के प्रत्येक छात्र से निर्धारित शुल्क जमा करवाया जाता था। जो प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के लिए अलग-अलग निर्धारित किया गया था। सत्र 2011-12 में शिक्षा विभाग ने अपने आदेश में निर्देशित किया कि अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षा के प्रश्न पत्र स्कूल स्तर पर तैयार किए जाए। लेकिन इस आदेश से पहले ही जिले की सभी स्कूलों ने अपने-अपने छात्रों की संख्या के आधार पर सर माधव स्कूल में शुल्क जमा करवा दिया था।

संयुक्त खाते में यह राशि है जमा
बच्चों से प्राप्त यह राशि 10 लाख रूपए से अधिक हैं। इस राशि को प्रश्न पत्र निर्माण में खर्च नहीं किया गया। राशि जिला समान परीक्षा के बैंक खाते में आज भी जमा है। उस समय जिला शिक्षा अधिकारी जगदीश चंद्र खंडेलवाल जो जिला समान परीक्षा के अध्यक्ष एवं संयोजक सर माधव स्कूल के संस्था प्रधान किशोर सिंह खीचड़ थे। दोनों के संयुक्त खाते में यह राशि जमा करवा दी गई थी। चूंकि यह खाता पदनाम से है, इसलिए वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा तथा वर्तमान संस्था प्रधान के खाते में यह राशि जमा है।

कार्यालय में बने अतिथि कक्ष
एक दशक से स्कूलों का पैसा बैंक में पड़ा है। जिले के सभी स्कूलों का यह पैसा आम सहमति से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अतिथि कक्ष के लिए सदुपयोग किए जाने पर सभी को विचार करना चाहिए।
विनोद पूनियां, जिलाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत)

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