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हर साल प्रदेश के साढ़े तीन लाख किसान हो रहे है डिफाल्टर, जाने क्यूं…

ब्याज मुक्त फसली ऋण बांटने के लिए बनी सहकारी नीति हर साल प्रदेश के करीब साढ़े तीन लाख किसानों को डिफॉल्टर बना रही है। किसान ऋण को समय पर चुकाने की कोशिश करता है लेकिन खरीफ और रबी के ऋण चुकाने के लिए कम अवधि (६ माह) होने के कारण दस से 15 फीसदी सदस्य किसानों का ऋण अवधिपार हो जाता है।

सीकरNov 14, 2019 / 05:55 pm

Bhagwan

अन्नदाता

सीकर. ब्याज मुक्त फसली ऋण बांटने के लिए बनी सहकारी नीति हर साल प्रदेश के करीब साढ़े तीन लाख किसानों को डिफॉल्टर बना रही है। किसान ऋण को समय पर चुकाने की कोशिश करता है लेकिन खरीफ और रबी के ऋण चुकाने के लिए कम अवधि (६ माह) होने के कारण दस से 15 फीसदी सदस्य किसानों का ऋण अवधिपार हो जाता है। नतीजन किसानों को केन्द्र और राज्य सरका के अनुदान योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। प्रदेश में 35 लाख से ज्यादा किसान अल्पकालीन ऋण लेते हैं और खरीफ सीजन में करीब तीन लाख किसानों का ऋण तय समय पर वापस जमा नहीं पाता है।
खरीफ सीजन में ज्यादा डिफॉल्टर

प्रदेश में किसानों को खरीफ और रबी की फसल के लिए दो बार ऋण देने की बाध्यता को खत्म करने की मांग की है। विभाग की इस बाध्यता के कारण सबसे अधिक परेशानी खरीफ सीजन में किसानों को होती है। खरीफ सीजन में फसलों में अक्सर खराबा हो जाता है। रही सही कसर फसल की थ्रेसिंग के बाद फसलों के कम भाव मिलने के कारण हो जाती है। एेसे में कई किसान समय पर बकाया ऋण नहीं चुका पाते हैं और सहकारी समिति उन्हें डिफॉल्टर मान लेती है। जिसका असर है संबंधित किसान को रबी सीजन में ऋण नहीं मिल पाता है और वह साहूकारों के चंगुल में फंस जाता है।
यूं समझें गणित

एक किसान को खरीफ फसल के लिए 50 हजार रुपए का ब्याज मुक्त ऋण दिया जाता है। तय समय पर यह ऋण चुकाने पर रबी सीजन में उसे फिर 50 हजार रुपए का ऋण दे दिया जाता है। लेकिन विभाग ऋण की गणना दोनों सीजन में दिए गए ऋण के अनुसार ही करता है। हकीकत में विभाग सीजन में जितनी राशि वितरण के आंकडे बता रहा है वे सभी आंकड़े दोनो सीजन की राशि को जोड़ कर बताए जाते हैं। जो किसानों के साथ धोखा है।
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