खरीफ सीजन में ज्यादा डिफॉल्टर प्रदेश में किसानों को खरीफ और रबी की फसल के लिए दो बार ऋण देने की बाध्यता को खत्म करने की मांग की है। विभाग की इस बाध्यता के कारण सबसे अधिक परेशानी खरीफ सीजन में किसानों को होती है। खरीफ सीजन में फसलों में अक्सर खराबा हो जाता है। रही सही कसर फसल की थ्रेसिंग के बाद फसलों के कम भाव मिलने के कारण हो जाती है। एेसे में कई किसान समय पर बकाया ऋण नहीं चुका पाते हैं और सहकारी समिति उन्हें डिफॉल्टर मान लेती है। जिसका असर है संबंधित किसान को रबी सीजन में ऋण नहीं मिल पाता है और वह साहूकारों के चंगुल में फंस जाता है।
यूं समझें गणित एक किसान को खरीफ फसल के लिए 50 हजार रुपए का ब्याज मुक्त ऋण दिया जाता है। तय समय पर यह ऋण चुकाने पर रबी सीजन में उसे फिर 50 हजार रुपए का ऋण दे दिया जाता है। लेकिन विभाग ऋण की गणना दोनों सीजन में दिए गए ऋण के अनुसार ही करता है। हकीकत में विभाग सीजन में जितनी राशि वितरण के आंकडे बता रहा है वे सभी आंकड़े दोनो सीजन की राशि को जोड़ कर बताए जाते हैं। जो किसानों के साथ धोखा है।