इसका नतीजा है कि यहां अब महज चार इकाइयां ही चल रही है। ये इकाइयां भी दम तोडऩे के कगार पर है। नमक उत्पादन से जुड़े कारोबारी की माने तो प्रशासन और उद्योग विभाग प्रोत्साहन दे तो और उत्पादन का आंकड़ा बढ़ सकता है। गौरतलब है कि रैवासा झील के नमक की सबसे ज्यादा मांग कपड़ा और चमड़ा उद्योग में है। इस कारण यहां का नमक हरियाणा, पंजाब सहित दूसरे राज्यों में जाता था।
यह है कारण ( Salt Lake in Rajasthan )
दांतारामगढ़ तहसील के रैवासा, सवाईपुरा, कोछोर गांव की भूमि को लवणीय माना गया है। यहां का पानी रैवासा झील में आता है। झील में आने वाले पानी के स्रोतों के पानी की रोकथाम नहीं होने से अब इस भूमि की लवणीयता भी कम हो गई है। उद्योग स्थापित करने के लिए जिम्मेदार विभाग ने ऋण तो बांटना शुरू कर दिया लेकिन यहां मूलभूत सुविधा यातायात के साधन विकसित नहीं किए। इस कारण यहां का नमक गति नहीं पकड़ गया है। इसके अलावा 1996 में आई बाढ़ में नमक प्लांट बर्बाद हो गए बाद में इन प्लांट को शुरू करने के लिए नया ट्यूबवैल बनवाने और नमक उत्पादन की लागत ज्यादा होने के कारण भी यहां का नमक उद्योग अब अपना अस्तित्व बचाने से जूझ रहा है।
नमक उत्पादन के लिए मशहूर है झील ( Famous Salt Lake in Rajasthan )
रैवासा झील मुख्यत नमक उत्पादन के लिए जानी जाती है। यहां नमक उत्पादन की शुरुआत 1978 में हुई। 15-16 साल पहले यहां पचास प्लांट में नमक का उत्पादन होता था। वर्तमान में यहां नमक उत्पादन के चार ही प्लांट हैं। एक प्लांट 15 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। इन प्लांटों से एक साल में जिनमें 70 हजार क्विंटल नमक का उत्पादन होता है। यहां सालाना करीब 25 लाख रुपए का कारोबार होता है। इसके अलावा जब झील में पानी भरा होता है तो बड़ी संख्या में मवेशी भी यहां पानी पीने के लिए आते हैं।
यूं होता है नमक का उत्पादन ( How to Produce Salt )
सर्दियों में नमक तैयार करने की शुरुआत होती है। सर्दी में क्यारियों को भरकर छोड़ देते हैं। इससे सर्दी में पक कर तैयार हो जाता है। पकने का इंतजार करना पड़ता है, नहीं तो स्वाद अच्छा नहीं रहता है। इसके बाद अप्रैल-मई में नमक सूखने पर उत्पादन शुरू होता है। क्यारी तैयार होते ही बाहर के कारोबारी फोन पर ऑर्डर बुक करवा देते हैं। नमक प्लांट के कर्मचारी लेबर के साथ पैकिंग करते हैं। बाद में उसे ट्रकों में भेजा जाता है।