साढ़े चार हजार तो हिस्सा राशि है
सरकार ने भले ही किसान की साख सीमा 406 रुपये तय की हो। लेकिन इससे ज्यादा तो किसान रामदेवाराम की हिस्सा राशि समिति के पास है। किसान लम्बे समय से समिति से जुड़ा हुआ है और उसकी पूर्व की साख सीमा के अनुसार समिति में 4500 रुपये तो उसकी हिस्सा राशि जमा है। लेकिन ऋण माफी के दौरान उसके खाते में 406 रुपये बीमा राशि के रुप में बकाया था। उस राशि को ही सरकार ने अब किसान की साख बना दिया है।
ऋण माफी नहीं होने का नहीं है मलाल
किसान रामदेवाराम को इसका कोई मलाल नही है कि उसको ऋण माफी का लाभ नही मिला। रामदेवाराम बताते है कि सरकार ने जो पैसा दिया है उसको तो चुकाना ही था और उसने हमेशा से ही यह प्रयास किया है कि जो पैसा लिया है उसे समय पर चुकाया जाए। लेकिन अब सरकार की ओर से 406 रुपयों का ऋण स्वीकृत होने पर थोड़ा झटका लगा है। किसान अब अपने आप को कौस रहा है कि वो भी समिति का डिफाल्टर होता तो उसका भी कर्ज माफ हो जाता और अब उसे रुपये भी पूरे मिल जाते।
इसलिए नहीं मिला फायदा
किसान रामदेवाराम पिछले करीब पैंतीस साल से ज्यादा समय से पलसाना ग्राम सेवा सहकारी समिति का ऋणी सदस्य है। किसान समिति से लगातार ऋण के रूप में समिति से लेने देन भी कर रहा है। खास बात यह है कि रामदेवाराम का ऋण कभी ओवर ड्यू नही हुआ। लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार की ओर से 30 सितम्बर 2017 में की गई ऋण माफी के दौरान किसान को रुपयों की आवश्यकता थी तो उसने दूसरे बैंक से किसान कार्ड बनावाने के लिए ऋण माफी की तारीख से कुछ दिन पहले ही ऋण के रुपये समिति में जमा करवाकर नोड्यूज ले लिया। इसके बाद ऋण माफी की घोषणा हो गई तो वह ऋण माफी की श्रेणी में नही आ सका। इसके बाद वर्तमान कांग्रेस सरकार की ओर से ऋण माफी की घोषणा कर 30 नवम्बर 2018 तक के बकाया पर दो लाख तक की ऋण माफी की थी। लेकिन इस दौरान भी रामदेवाराम की किस्मत खराब थी और उसने 27 नवम्बर को ही समिति में ऋण के रुपये जमा करवा दिए थे। ऐसे में वो फिर से ऋण माफी से वंचित रह गया।
किसान को ऑनलाइन पंजीयन के दौरान जो ऋण स्वीकृत हुआ है वो कम है। इसको लेकर उच्च अधिकारियों के पास पत्र भेज दिया है। जल्द ही किसान को फिर से जमीन के अनुसार साख बनाकर ऋण दे दिया जाएगा। -महादेवसिंह ऐचरा, मुख्य कार्यकारी, जीएसएस पलसाना