सब्सिडी के फेर में आत्महत्याएं कर रहा किसान : पारीक
सीकरPublished: Feb 24, 2021 05:51:24 pm
25 लाख की बजाय महज 10 हजार रुपए में परम्परागत पोलीहाउस है
सब्सिडी के फेर में आत्महत्याएं कर रहा किसान : पारीक
अजीतगढ़. कस्बे के पद्मश्री जगदीश पारीक ने श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर में पांच दिवसीय किसान मेला 2021 की ‘कृषक वैज्ञानिक संगोष्ठी व कृषि तकनीकी प्रदर्शन में मुख्य अतिथि कृषि मंत्री लालचंद कटारिया को परम्परागत पोलीहाउस के मॉडल के माध्यम से किसान की कम लागत में आय दुगुनी करने की बारीकी समझाई। पारीक ने कृषि मंत्री व कृषि वैज्ञानिकों को बताया कि देशभर के किसानों को सरकारें करीब 25 लाख रूपए के पोलीहाउस के लिए किसान से 8 लाख रुपए लेते हैं, ये पालीहाउस दो-तीन वर्ष में वायरस की चपेट में आने से उत्पादन निम्न हो जाता है और किसान को लागत खर्च में वापस नहीं मिलता है। इस सब्सिडी के चक्कर में किसान दिनोंदिन आर्थिक तंगी से जूझता चला जाता है।
इस आर्थिक संकट के चलते देश में कई किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। किसानों को जैविक खेती करने के साथ कम लागत में आय दुगुनी करने के लिए एक हजार स्क्वायर फीट में परम्परागत पोलीहाउस महज 5 हजार रुपए की लागत से तैयार किया जा सकता हैं, जो 25 लाख के सरकारी अनुदान वाले पोलीहाउस के बराबर 10 हजार में बन सकता है। कृषि मंत्री कटारिया को बताया कि परम्परागत पोलीहाउस में ऊपरी आवरण पर बेलदार सब्जियां व नीचे छाया में शिमला मिर्च, धनिया, अदरक, अरबी, हल्दी समेत अन्य उपजें की जा सकती हैं। किसान मेले में पद्मश्री जगदीश पारीक को अतिथियों ने स्मृति चिन्ह व प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया। इस दौरान तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग, कुलपति प्रो. जे.एस.संधू, अधिष्ठाता डॉ.ए.के.गुप्ता, प्रबंध मंड़ल सदस्य डॉ.पी.सी.जैन, प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ.सुदेश कुमार समेत अनेक कृषि वैज्ञानिक, प्रगतिशील किसानों ने परम्परागत पोलीहाउस की बारिकियां समझी व किसान के हितकारी बताया। किसान मेलें में कृषि संकाय के छात्रें ने जैविक खेती व परम्परागत पोलीहाउस को समझा।
हर वक्ता ने याद किए सीकर के पुराने आंदोलन
सीकर. किसान महापंचायत में 50 से ज्यादा वक्ताओं ने सरकार को ललकारा। लेकिन इन सभी के भाषणा की एक खासियत सबसे ज्यादा चर्चा में रही। राकेश टिकैत से लेकर युद्धवीर सिंह और योगेन्द्र यादव से लेकर अमराराम-पेमाराम ने अपने भाषण की शुरुआत सीकर और राजस्थान की माटी से की। यादव ने कहा कि सीकर की सरजमी देश को आंदोलन के तौर-तरीके सिखाती है। यहां के धरती पुत्रों ने बड़े-बड़े किसान आंदोलन किए हंै। टिकैत ने कहा कि चौधरी चरणसिंह और महेंद्र सिंह टिकैत ने सीकर में कई बैठक की थी। यदि सीकर ने आंदोलन खड़ा किया है तो सफल भी होगा। युद्धवीर ने कहा कि 90 के दशक में चौधरी छोटूराम किसान आंदोलन चलाने के लिए आए थे। वक्ताओं ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में भी सीकर से किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी। राजाशाही के समय सीकर के किसानों ने देश में सबसे पहले आंदोलन किया।