बिल में 833 रुपए छूट
पिछली भाजपा सरकार के समय एक महीने के बिल में औसत 833 रुपए की छूट का प्रावधान किया गया था। दो महीने के बिल में 1666 रुपए माफ किए जा रहे थे। इस योजना में अधिकतम छूट की राशि दस हजार रुपए तय की गई थी। योजना के दायरे में सभी कृषि उपभोक्ताओं को शामिल किया गया था।
इस योजना में सब्सिडी बैंक खाते में नहीं आने के अलावा किसानों के सामने कई चुनौती है। प्रदेश में सात लाख से अधिक किसान ऐसे हैं जिनके बिजली कनेक्शन दूसरे नाम से हैं। इनमें से काफी किसानों की मौत भी हो चुकी है। किसानों का कहना है कि अब कनेक्शनधारी किसान का बैंक खाता कहां से लेकर आए। इस तरह की स्थिति में बिजली कंपनियों की ओर से परिवार के सभी सदस्यों की ओ से सहमति पत्र व शपथ पत्र मांगा गया। लेकिन परिवार में सहमति नहीं बनने की वजह से समस्या आ गई। सूत्रों का कहना है कि 55 फीसदी से अधिक किसान इन नियमों में उलझने की वजह से स्वत: ही योजना से बाहर हो गए हैं।
केस 01: अक्टूबर से नहीं मिला एक पैसा
धोद इलाके के किसान व पूर्व पंचायत समिति सदस्य किशन पारीक ने बताया कि उनका कृषि कनेक्शन है। विद्युत निगम में संयुक्त कनेक्शन होने पर परिवार के अन्य सदस्यों का शपथ पत्र जमा करवा दिया है। इसके बाद भी कई महीनों से पैसा नहीं आ रहा है।
केस 02: तीन महीने से लगा रहे हैं चक्कर
सीकर के किसान भागीरथ सिंह का कहना है कि पिछले तीन महीने से वह विद्युत निगम कार्यालयों में चक्कर लगा रहा है। लेकिन कोई बताने को तैयार नहीं है कि आखिर खाते में पैसा कब आएगा। पहले विभाग ने एक महीने तक कागजी खानापूर्ति में उलझा कर रखा।
अक्टूबर 2019 से इस योजना में पैसा बैंक खातों में भेजने का प्रावधान है। जिन खातेदारों के नाम से कनेक्शन है उनकी सूची भिजवा दी है। ऐसे खातेदारों के बैंक में पैसा मिलेगा। खाते में पैसा भिजवाने का मामला प्रक्रियाधीन है। ऐसे किसान जिनमें कृषि कनेक्शन किसी और के नाम से है और सहमति या बैंक खाता संख्या नहीं दी है उनके मामले में निर्णय उच्च स्तर से होना है।
नरेन्द्र गढ़वाल, अधीक्षण अभियंता, सीकर