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खेती बाड़ी करने वाले ये खबर जरूर पढ़े, मिलेगा मोटा मुनाफा

बरसों से घाटे का सौदा बनी खेती को छोडक़र हाइटेक खेती कर झीगर के ३२ वर्ष युवा महेश पचार ने किसानों के लिए मुनाफे की नई इबारत लिख रहे हैं।

सीकरNov 12, 2019 / 06:53 pm

Bhagwan

खेती बाड़ी करने वाले ये खबर जरूर पढ़े, मिलेगा मोटा मुनाफा

सीकर. बरसों से घाटे का सौदा बनी खेती को छोडक़र हाइटेक खेती कर झीगर के ३२ वर्ष युवा महेश पचार ने किसानों के लिए मुनाफे की नई इबारत लिख रहे हैं। महज ३२ साल की उम्र, एमएबीएड़ की डिग्री और नौकरी का ऑफर ठुकराने वाले महेश ने परम्परागत खेती में घाटे की कारणों को तलाशा और लीक से हटकर फसल की बजाए पौध बेचने के लिए मानस बना दिया। महेश हर साल टमाटर और मिर्च के करीब ३० लाख पौधे तैयार करते हैं। इन पौधों को कोकोपिट में तैयार किया जाता है। प्रत्येक सीजन में वे चार से पांच लाख रुपए खर्च करते हैं और शुद्ध मुनाफे के रूप में एक साल में १५ से १८ लाख रुपए तक कमा लेते हैं। महज ४५ दिन में तैयार होने वाली पौध से मिलने वाले मुनाफे ने आस-पास के किसानों को हतप्रभ कर दिया है। बकौल महेश फिलहाल उन्होंने ३० लाख पौधे टमाटर और हरी मिर्च के तैयार कर रखे हैं।
हाइब्रिड बीज से तैयार

कोकोपिट में तैयार पौध की टिकाव क्षमता ज्यादा होने के कारण सभी किसान एडवांस राशि देकर बुकिंग करवाते हैं। महेश दो तरीके से पौध तैयार करते हैं। प्रत्येक बैच में ३५ हजार रुपए किलोग्राम तक के हाइब्रिड व देसी बीज का उपयोग करते है। एक किलोग्राम बीज से एक लाख बीस हजार पौधे कोकोपिट की टे्र में तैयार होते हैं। इसके लिए कोकोपिट केरल और आन्ध्र प्रदेश से मंगवाते हैं। एक हजार स्क्वायर फिट में बने शेडनेट में तैयार इस ट्रे के हरी मिर्च की प्रत्येक पौधे को एक रुपए ६० पैसे में व जमीन पर तैयार पौध को एक रुपए में प्रति पौधा के हिसाब से बेचा जाता है। टमाटर के प्रत्येक पौधे को तीन रुपए के हिसाब से बेचा जाता है। किसान ने बताया कि प्रत्येक पौधे से औसतन ५० पैसे का मुनाफा हो जाता है। इसके अलावा कई बार ऑफ सीजन होने के कारण मुनाफे की राशि बढ़ भी जाती है।
इनका कहना है

महेश खेती में नवाचार कर अच्छी आमदनी ले रहे हैं। खेती की मौजूदा स्थिति को देखते हुए कोकोपिट ट्रे में उपज तैयार करना एक अच्छी विधि है। इससे अन्य किसानों को प्रेरणा लेनी चाहिए। कोकोपिट में पौध तैयार करने पर पौधे का जीवितता प्रतिशत बढ़ जाता है।
प्रमोद कुमार, संयुक्त निदेशक सीकर कृषि खंड
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