आस्था की सेवा में फीस बनी रोड़ा
-नगर पालिका के बाद ग्राम पंचायतों ने भी ग्राम पंचायतों ने भी शुरू की वसूली
सफाई के नाम पर वसूले जा रहे हैं 21 हजार
संचालकों ने दिया कलक्टर को ज्ञापन

सीकर. आस्था की डोर में बंधकर पैदल खाटू आने श्रद्धालुओं की सेवा में नगर पालिका और पंचायतों की फीस बड़ा रोड़ा बन गई है। नगर पालिका की ओर से भंडारे की स्वीकृति पर 21 हजार रुपए की राशि तय करने के बाद ग्राम पंचायतें भी भंडारा संचालकों से इतनी ही राशि वसूलना तय कर दिया है। इसका भंडारा संचालकों में इसका विरोध है। भंडारा संचालकों का कहना है कि वे यहां पर लोगों की सेवा करने के लिए आते हैं। ऐसे में इतनी बड़ी राशि का भुगतान क्यों करे। ऐसे में इस बार अधिकतर भंडारे बिना स्वीकृति के लगाए जा रहे हैं।
पालिका क्षेत्र में महज 35 भंडारों की स्वीकृति
खाटू श्याम के लक्खी मेले में खाटू कस्बे के साथ रींगस, लामिया सहित आसपास की ग्राम पंचायतों में करीब चार सौ अधिक भंडारे लगते हैं। इनमें से सौ अधिक भंडारे खाटू में स्थित धर्मशालाओं में चलते हैं। शेष भंडारे आसपास की पंचायत क्षेत्र में लगते हैं। नगर पालिका बोर्ड की बैठक में क्षेत्र लगने वाले भंडारों के संचालकों से 21 हजार रुपए स्वीकृति और 11 व 21 हजार रुपए सफाई के नाम पर वसूलना तय किया। साथ ही स्वच्छता के संबंध में कई पाबंदिया भी लगाई गई। ऐसे में नगर पालिका क्षेत्र की अब तक की स्थिति देखे तो महज 35 भंडारा संचालकों ने ही स्वीकृति ली है।
कोई सरकारी सुविधा नहीं, फिर काहे का पैसा
खाटू में लगने वाले भंडारों की स्थिति देखे तो सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं दी जाती है। भंडारा संचालक अपने स्तर पर किराए या स्वयं की जमीन पर भंडारा लगाते हैं। बिजली-पानी से लेकर सभी सुविधाएं अपने स्तर पर जुटाते हैं। अखिल भारतीय श्याम प्रेमी संघर्ष महासंघ के सत्यनारायण प्रधान ने बताया कि भंडारा संचालक सेवा भाव के उद्देश्य से मेले में भंडारे लगाते हैं। वे यहां पर व्यापार करने नहीं आते हैं। इसके बावजूद स्वीकृति के नाम पर वसूली और अनावश्यक कागजी कार्रवाई गलत है। इसके लिए महासंघ की ओर से शनिवार को जिला कलक्टर को ज्ञापन भी दिया गया है।
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