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दूध है कम, मावा तैयार हो जाता है टनों में!

locationसीकरPublished: Oct 29, 2021 06:54:54 pm

Submitted by:

Narendra

मिलावट का खेल : त्योहारी सीजन में भारी मांग के चलते घी, मावा, मिठाइयों व मसालों में होने लगी मिलावट

दूध है कम, मावा तैयार हो जाता है टनों में!

दूध है कम, मावा तैयार हो जाता है टनों में!

नरेंद्र शर्मा. सीकर. त्योहारी सीजन शुरू होने के साथ ही शेखावाटी में अब मिलावटी सक्रिय हो गए हैं। हालांकि सीजन में दूध और मसाले आम दिनों के बराबर ही खप रहे हैं जबकि मिठाइयों व मावे की खपत चार गुना तक बढ़ गई है। एक आंकलन के अनुसार सीकर में प्रतिदिन चार लाख लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। इसमें से करीब दो से ढाई लाख लीटर दूध घरों में आपूर्त किया जा रहा। डेढ़ से दो लाख लीटर दूध दुकानों पर जाता है, जबकि मावा टनों में बन रहा है। इससे मिलावट का खतरा भी उतना ही बढ़ गया है। मिलावट रोकने के लिए जिम्मेदार खाद्य विभाग शहर में कई स्थानों से दूध, घी और तेल के नमूनों को जयपुर भेज कर इतिश्री कर रहे हैं। जबकि त्योहारी सीजन में मावे या मावे से बनी मिठाइयों की खपत अधिक होने लगी है। सर्वाधिक मिलावट घी, तेल,मावा, मिठाई व मसालों में सामने आ रही हैं।
यहां से आ रहा मावा
शेखावाटी में आम दिनों में प्रतिदिन 15 से 80 क्विंटल तक मावा खप रहा है। जबकि अभी यह खपत औसतन 25 से 30 क्विंटल तक पहुंच जाती है। सीकर जिले में प्रतिदिन 15 से 20 क्विंटल मावा बीकानेर, डूंगरगढ़ व लूणकरणसर से आ रहा है।
जानिए मिलावट का पूरा गणित
मिठाई विक्रेताओं ने बताया कि बीकानेर व डूंगरगढ़ में मावे में आरारोट व पाउडर का मिश्रण मिलाया जाता है जबकि देसी तरीके से तैयार मावा दूध से बनाया जाता है। यही कारण है कि देसी मावा बाजार में 350-400 रुपए किलो बिक रहा है जबकि बीकानेर व डूंगरगढ़ से आने वाला मावा 150-200 रुपए प्रति किलो बेचा जाता है।
मिथ्या छाप से भी देते हैं धोखा
नियमानुसार सामग्री की पैकिंग पर सामग्री के बारे में जरूरी सभी जानकारी अंकित होना आवश्यक है। मसलन वजन, निर्माण, दिनांक,उपयोग अवधि, बेच, कंटेंट, निर्माण स्थल का पता,कार्यालय का पता आदि। इनमें से किसी की जानकारी के पैकिंग पर न होने से सीधे तौर पर सेहत पर असर नहीं पड़ता, परंतु ये उपभोक्ता से एक प्रकार का धोखा है। कुछ पैकिंग में आवश्यक जानकारियों का अभाव होता है तो कुछ पर दूसरे बड़े ब्रांड की नकली छाप लगा दी जाती है। इन्हें मिथ्याछाप श्रेणी में लिया जाता है। जिस पर कार्रवाई का प्रावधान है।
ये सावधानी रखनी होगी
– पैकिंग पर सभी कंटेंट की जानकारी होनी चाहिए। निर्माण उपयोग करने की अवधि का उल्लेख आवश्यक है। यदि ऐसा न हो तो शिकायत करें।
– खाद्य सामग्री को सामान्य रूप से जरूर जांचें कि वह बासी तो नहीं, उसमें दुर्गंध तो नहीं आ रही या फफूंद कीट आदि न लगे होने चाहिए। ऐसा है तो शिकायत कर सामग्री नष्ट करवाएं।
– तोल का भी ध्यान रखें।
क्या मिलावट, कैसे पहचानें
मावा : यूरिया, स्किम्ड पाउडर, उबले आलू, वनस्पति घी, सोयाबीन तेल।
पहचान : टिंचर आयोडिन डालने से मावा यदि नीला पड़ जाए तो यह मिलावटी है। नकली मावे में यूरिया और स्टार्च मिलाया जाता है।
घी में आलू और दूध में मिला रहे यूरिया
देसी घी: वनस्पति घी, तेल और एसेंस और उबले आलू।
दूध : यूरिया, पानी और पावडर आदि की मिलावट
पहचान : नाखून पर एक बूंद डालकर देखें। इससे दूध में पानी की पहचान हो जाएगी। पावडर कुछ ही देर में नीचे बैठ जाता है।
नुकसान : मिलावट के कारण स्वास्थ्य पर पड़ता है असर
यहां करें शिकायत
यदि कोई खाने-पीने की चीजों में मिलावट करता है तो आप उसकी शिकायत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के कंट्रोल ऑफिस में कर सकते हैं।
रखी जा रही नजर
दुकानों से नमूने लिए जा रहे हैं। मिलावटी मावा मंगवाने वालों पर नजर रखी जा रही है। मावे की जांच के लिए अभियान चलाकर नकली मावे को जब्त किया जा रहा है। या नष्ट करवाया जा रहा है।
-रतन गोदारा,फूड सेफ्टी ऑफिसर

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