VIDEO. एक साथ उठी चार अर्थियां, चीत्कारों से कांप उठा कलेजा
राजस्थान के सीकर शहर में रविवार को आत्महत्या करने वाले पति-पत्नी व दो बेटियों का अंतिम संस्कार सोमवार को किया गया।
सीकर. राजस्थान के सीकर शहर में रविवार को आत्महत्या करने वाले पति-पत्नी व दो बेटियों का अंतिम संस्कार सोमवार को किया गया। पोस्टमार्टम के बाद चारों के शव सुबह घर पहुंचे। जिन्हें एकसाथ देख घर से उठी चीत्कारों से हर कोई दहल गया। मृतक हनुमान के मां- बाप की बूढ़ी आंखों से तो आंसुओं के झरने से फूट पड़े। बाकी परिजनों का भी रो-रोकर बुरा हाल था। पारिवारिक रस्मों के बाद चारों की अर्थी साथ उठी तब तो मौजूद हर शख्स का कलेजा कांप गया। शव यात्रा का मंजर रास्ते में जिसने देखा, वो भी अपने आंसुओं की नमी नहीं रोक पाया। चारों का अंतिम संस्कार मोक्षधाम में एक ही चिता पर हुआ। अंतिम यात्रा में काफी संख्या में लोग शामिल हुए।
ये है मामला
सीकर शहर के राधाकिशनपुरा स्थित पुरोहितजी की ढाणी में रविवार को 45 वर्षीय हनुमान सैनी ने पत्नी तारादेवी और दो बेटियों पूजा व अन्नु के साथ रविवार को फांसी के फंदे पर झूलकर आत्महत्या कर ली थी। जिनके पास मिले सुसाइड नोट में इसकी वजह उन्होंने बेटे की मौत के गम को बताया। जिसकी सात महीने पहले हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।
आत्महत्या से पहले लिखा-जमीन, घर, दुकान, नौकरी सब है, बस...
आत्महत्या मामले में पुलिस को सुसाइड नोट मिला है। जिसमें मृतक हनुमान सैनी ने चारों द्वारा आत्महत्या पूरे होशो हवास में करने की बात लिखी है। आत्महत्या की वजह बेटे की मौत के गम को बताया है। लिखा है कि बेटे की मौत 27 सितंबर को हो गई थी। जिसके बाद से वह उसके बिना जीने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जी नहीं पा रहे हैं। इसलिए चारों ने आत्महत्या का फैसला लिया है। नोट में घर में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होने का जिक्र भी किया है। लिखा है कि उनके पास जमीन,घर, दुकान व नौकरी है। बस सबसे बड़ी कमी बेटे की ही है। जिसके बिना सब बेकार है। घटना स्थल से एक अन्य नोट भी मिला है। जिसमें मृतक हनुमान सैनी ने छोटे भाई सुरेश को उन पर कोई कर्ज बाकी नहीं होने की बात लिखते हुए अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज से करने को लिखा है।
सुसाइड नोट में ये लिखा
'मैं हनुमान प्रसाद सैनी मेरी पत्नी तारा देवी व दो बेटियां पूजा व अन्नू अपने पूरे होश में यह लिख रहे हैं कि हमारे पुत्र अमर का स्वर्गवास दिनांक 27/9/20 को हो गया था। हमने उसके बिना जीने की कोशिश की। लेकिन जीया नहीं जाता उसके बगैर। इसलिए हम चारों ने अपनी जीवन लीला समाप्त करने का फैसला किया है। अमर ही हम चारों की जिंदगी था, वही नहीं तो हम यहां क्या करेंगे। घर में किसी चीज की कमी नहीं है। जमीन है, घर है, दुकान है, नौकरी है। बस सबसे बड़ी कमी पुत्र की है। उसके बिना सब बेकार है। हमारे घर किसी का कोई कर्ज बाकी नहीं है। प्रशासन से निवेदन है किसी भी परिवारजनों को परेशान नहीं करें। यह हमारा अपना फैसला है।'
छोटे भाई के नाम लिखा ये संदेश
'सुरेश, हम सब का अंतिम संस्कार अपने परिवार की तरह करना। (कबीर पंथ) की तरह मत करना। सब अपने रीति रिवाज से करना और अमर का कड़ा व उसके जन्म के बाल हमारे साथ गंगा में बहा देना। अमर की फोटो के पास सब सामान रखा है। सुरेश मेरे ऊपर किसी का कोई रुपया पैसा बाकी नहीं है।'
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