सुबेदार मेजर पृथ्वी सिंह शेखावत के दादा हवलदार नोप सिंह शेखावत ने 22 साल की नौकरी में द्वितीय विश्व युद्ध सहित कई युद्ध लड़े। पिता हवलदार प्रहलाद सिंह शेखावत ने 1962, 1971 का युद्ध लड़ते हुए 24 साल नौकरी की। शेखावत ने करगिल युद्ध में हिस्सा लिया और 2014 में दिल्ली राज रीफ सेंटर दिल्ली से रिटायर्ड हो गए। वे पिछले तीन साल से लकवे से पीडि़त हैं। बड़ा भाई परमजीत सिंह शेखावत न्यूजीलैंड में पढ़ाई कर रहा है, तो दूसरा बेटा जम्मू कश्मीर में टू राजपूत रजिमेंट का हिस्सा बन राष्ट्र सेवा में जुटा है।
सुबेदार सायर सिंह शेखावत के दादा हवलदार गणपत सिंह शेखावत ने 20 साल नौकरी की। पिता हवलदार जमन सिंह शेखावत आर्मड कोर से 1964 में रिटायर्ड हुए। 22 साल की नौकरी में 1962 का युद्ध भी लड़ा। सायर सिंह ने 1985 में बंगाल इंजीनियर्स में भर्ती होकर करगिल का युद्ध लड़ा। 2015 में सुबेदार रैंक से रिटायर्ड होने के दो महीने बाद ही इकलौता बेटा नरेंद्र सिंह शेखावत सेना में भर्ती हो गया। ईएमई ग्रुप में सिपाही रैंक के साथ नरेंद्र साउंथ कमांड पुणे में तैनात है।
सूबेदार दुर्जनसाल सिंह शेखावत ने प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा लेकर देश सेवा की। उनके बेटे सूबेदार माधोसिंह शेखावत ने 25 साल की नौकरी में 1971 की लड़ाई लड़कर सेना मेडल प्राप्त किया। उसके बाद सूबेदार शक्ति सिंह शेखावत 1983 में फिरोजपुर पंजाब में भर्ती हुए। रामगढ़ से 2019 में सेवानिवृत हो गए। सिपाही रविंद्र सिंह शेखावत फिलहाल पटियाला में तैनात हैं।