scriptएक गांव के तीन परिवार की चार पीढिय़ां सेना में, इकलौते बेटे ने भी परिवार की जगह चुना देश | Four generations of three families of a village in the army | Patrika News

एक गांव के तीन परिवार की चार पीढिय़ां सेना में, इकलौते बेटे ने भी परिवार की जगह चुना देश

locationसीकरPublished: Jan 26, 2020 06:48:55 pm

Submitted by:

Sachin

शेखावाटी के तारपुरा गांव के 10 परिवारों की तीसरी और तीन परिवारों की लगातार चौथी पीढ़ी आर्मी में तैनात हैं।

एक गांव के तीन परिवार की चार पीढिय़ां सेना में, इकलौते बेटे ने भी परिवार की जगह चुना देश

एक गांव के तीन परिवार की चार पीढिय़ां सेना में, इकलौते बेटे ने भी परिवार की जगह चुना देश

सीकर. शेखावाटी के तारपुरा गांव के 10 परिवारों की तीसरी और तीन परिवारों की लगातार चौथी पीढ़ी आर्मी में तैनात हैं। पूर्व सैनिकों को मिलाकर गांव के कुल 500 से अधिक लोग सेना से जुड़े हैं। वर्तमान में 9 हजार की आबादी और 6100 मतदाता हैं। गांव में देशभक्ति का जूनुन देखते ही बनता है। हर परिवार का नौजवान आर्मी में जाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है।
पिता को लकवा, बेटा जम्मू में तैनात


सुबेदार मेजर पृथ्वी सिंह शेखावत के दादा हवलदार नोप सिंह शेखावत ने 22 साल की नौकरी में द्वितीय विश्व युद्ध सहित कई युद्ध लड़े। पिता हवलदार प्रहलाद सिंह शेखावत ने 1962, 1971 का युद्ध लड़ते हुए 24 साल नौकरी की। शेखावत ने करगिल युद्ध में हिस्सा लिया और 2014 में दिल्ली राज रीफ सेंटर दिल्ली से रिटायर्ड हो गए। वे पिछले तीन साल से लकवे से पीडि़त हैं। बड़ा भाई परमजीत सिंह शेखावत न्यूजीलैंड में पढ़ाई कर रहा है, तो दूसरा बेटा जम्मू कश्मीर में टू राजपूत रजिमेंट का हिस्सा बन राष्ट्र सेवा में जुटा है।
इकलौता बेटा भी आर्मी में


सुबेदार सायर सिंह शेखावत के दादा हवलदार गणपत सिंह शेखावत ने 20 साल नौकरी की। पिता हवलदार जमन सिंह शेखावत आर्मड कोर से 1964 में रिटायर्ड हुए। 22 साल की नौकरी में 1962 का युद्ध भी लड़ा। सायर सिंह ने 1985 में बंगाल इंजीनियर्स में भर्ती होकर करगिल का युद्ध लड़ा। 2015 में सुबेदार रैंक से रिटायर्ड होने के दो महीने बाद ही इकलौता बेटा नरेंद्र सिंह शेखावत सेना में भर्ती हो गया। ईएमई ग्रुप में सिपाही रैंक के साथ नरेंद्र साउंथ कमांड पुणे में तैनात है।
माधो सिंह को मिला सेना मेडल
सूबेदार दुर्जनसाल सिंह शेखावत ने प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा लेकर देश सेवा की। उनके बेटे सूबेदार माधोसिंह शेखावत ने 25 साल की नौकरी में 1971 की लड़ाई लड़कर सेना मेडल प्राप्त किया। उसके बाद सूबेदार शक्ति सिंह शेखावत 1983 में फिरोजपुर पंजाब में भर्ती हुए। रामगढ़ से 2019 में सेवानिवृत हो गए। सिपाही रविंद्र सिंह शेखावत फिलहाल पटियाला में तैनात हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो