एक लाख रुपए हड़प लिए
चौधरी चरण सिंह नगर में रहने वाले मनोज निठारवाल पुत्र रामकरण ने बताया कि दलाल दीपक कुमार ने वीजा का प्रलोभन देकर उससे एक लाख 9800 रुपए ठग लिए। 2017 में उसने विज्ञापन निकालकर दोहा कतर में सिविल इंजीनियर का जॉब बताया और प्रतिमाह 45 हजार रुपए तनख्वाह दिलाने का विश्वास दिलाया। पहले तो उसने मेडिकल करवाने के नाम पर 30 हजार रुपए ऐंठ लिए। कुछ दिनों बाद वीजा का झांसा देकर 50 हजार ले लिए और इसके बाद टिकट देकर 36300 रुपए चुकता कर लिए। दूसरे दिन वीजा लेने पहुंचा तो ट्रेवल पर ताला लगाकर वह फरार हो गया। मोबाइल फोन भी बंद कर लिए। जबकि इनमें आधे रुपए तो ब्याज पर उठाए थे और कुछ रुपए उसने मेहनत की कमाई के जमा कर रखे थे। मुकदमे के बाद पुलिस भी आरोपित के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
पासपोर्ट भी रख लिया
फतेहपुर तहसील के नारसरा गांव के शिवलाल का आरोप है कि दुबई भेजने के लिए दलाल ने उसके 23500 रुपए हड़प लिए और साथ में उसका पासपोर्ट भी रख लिया। आठ महीने से चक्कर काट रहा हूं न तो दुबई भेजने का बंदोबस्त कर रहा है और न ही उसके रुपए लोटा रहा है। जबकि रुपयों का बंदोबस्त फसल बेचकर करके दिया था।
पांचों को एक साथ बनाया शिकार
रैवासा निवासी कैलाश सहित रामगढ़ का सिकंदर, पबाणा का मूलचंद, डूंडलोद का दयाचंद, मुकंदगढ़ का रविकांत भी कबूतरबाजी में लाखों रुपए ठगवा चुके हैं। इसमें कैलाश से दलाल ने 80 हजार रुपए व बाकी से इससे ज्यादा नकदी बटौरी थी। रानोली थाने में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी पुलिस न तो आरोपित दलाल से इनके पैसे वापस दिला पाई है। जबकि इनमें कइयों के पासपोर्ट भी दलाल ने अपने कब्जे में कर रखे हैं।
हुआ था भंडाफोड़
गत सालों पहले पुसिल ने सीकर में इन कबूतरबाजों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इनके फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। जिसमें इंटरव्यू लेने वाले और मेडिकल करने वाले कुछ फर्जी लोगों को पकड़ा था। लेकिन, इसके बाद विदेश भेजने के नाम पर ठगी करने वालों के गिरेबा तक पुलिस के हाथ अभी तक नहीं पहुंचे हैं।
यू दिया झांसा, 45 हजार ठगे
मोहल्ला रोशनगंज के अब्दुल का कहना है कि विदेश भेजने के नाम पर दलाल ने उससे भी 45 हजार रुपए ठग लिए। दोहा-कतर में उसे पेंटिंग व लेबर का काम करने पर प्रतिमाह 25 हजार रुपए दिलाने की बात कही थी। 3500 रुपए मेडिकल के लेने के बाद कंपनी का ऑफर लेटर भी दिखाया और इसके बाद रुपए लेकर मुकर गया। अगली बार भेजने का झूठे आश्वासन देता रहा। जबकि मजदूर पिता ने उसे विदेश भेजने के लिए ब्याज पर रुपए उठाए थे।