सीकर से करीब 80 किलोमीटर दूर अरावली पर्वतमाला के बीच बसने वाला गणेश्वर गांव गालव गंगा धाम के पहचान रखता है। यहां सोमवती अमावस्या पर गौ मुख से निकली गर्म जल धारा देश के कोने कोने से यहां स्नान के लिए पहुंचे।
महिलाओं ने बड़ पूजनी अमावस्या पर वट वृक्ष की पूजा अर्चना कर मंदिरों में पूजा अर्चना की। धाम पर श्रद्धालुओं का अल सुबह से ही आना शुरू हो गया था।
अचम्भा: माइनस ट्रेम्प्रेचर में भी पानी गर्म
नीमकाथाना में अरावली की सुरम्य पहाडिय़ों की गोद में बसे गालव गंगा तीर्थ का जितना पौराणिक व पुरातात्विक महत्व हैै, उतना ही यह अजब व अद्भुद भी है। वजह है यहां बना कुंड और एक झरना। जो पास होने पर भी उनमें पानी की प्रकृति बिल्कुल अलग है। गौ मुख से बहने वाले झरने में जहां ठंडा पानी आता है, तो कुंड में सैंकड़ों साल से गर्म पानी बह रहा है।
सर्दी में भी पानी का औसत तापमान 35 डिग्री
गणेश्वर धाम में गर्म पानी के कुंड की खास बात यह भी है कि यहां सर्दियों में भी पानी गर्म ही रहता है। पारा माइनस में होने पर भी पानी की गर्माहट में कमी नहीं आती। पानी का तापमान यहां औसत 35 डिग्री ही रहता है। ऐसे में सर्दियों में भी तीर्थ यात्रियों की संख्या यहां कम नहीं होती।
मान्यता: पुरणों में है जिक्र,डुबकी से चर्म रोग गायब!
इस प्राचीन स्थल को गालव ऋषि की तपोस्थली कहा गया है। ऐसे में पानी को भी दैवीय चमत्कार के साथ जोडकऱ देखा जाता है। पौराणिक तीर्थ स्थल की मान्यता की वजह से यहां रोजाना सैंकड़ों लोग डुबकी लगाने भी पहुंचते हैं। पानी से चर्म रोग ठीक होने का दावा भी किया जाता है। हालांकि पानी के इस चमत्कार की वजह साइंटिस्ट इसमें सल्फर की मात्रा को मानते हंै। लेकिन, ठंडे पानी के झरने से करीब 30 मीटर की दूरी पर ही गर्म पानी का बहाव अब भी विज्ञान से ज्यादा आस्था व चमत्कार को लेकर ही चर्चित है। क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में डेवलप करने के लिए भी काफी डिमांड की जा चुकी है।
बंद होने पर यज्ञ से शुरू हुआ पानी
यह भी कहा जाता है कि करीब 200 साल पहले इस गर्म कुंड में पानी आना बंद हो गया था। इस पर यहां एक यज्ञ करवाया गया। जिसकी पूर्णाहुति के बाद कुंड में फिर से गर्म पानी आना शुरू हुआ।