कई मामले आरटीपीसीआर में नहीं आ रहे पकड़ में
शेखावाटी में सैकडों ऐसे उदाहरण हैं जिसमें आरटीपीसीआर में कोरोना संक्रमण का पता नहीं चला। जब मरीजों की ओर से सीटी कराई गई तब तक संक्रमण काफी बढ़ चुका था। रोजाना पांच फीसदी तक मामलों में ऐसा सामने आ रहा है।
रोजाना 400 से 500 सीटी
जिले में फिलहाल रोजाना 400 से 500 सीटी स्केन हो रही है। इनमें से औसतन 80 से 90 प्रतिशत लोग कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं। 15 प्रतिशत तक ऐसे मरीज हैं जो आरटीपीसीआर टेस्ट में नेगेटिव आए थे, सिटी स्कैन कराने पर उनके फेफड़े 70 प्रतिशत तक डैमेज हो चुके थे और वे कोरोना संक्रमित मिले।
जिले में पिछले डेढ़ महीने में एचआरसीटी
सीकर शहर: 4200
फतेहपुर: 850
रींगस: 2076
नीमकाथाना: 800
जयपुर सहित दूसरे शहरों से: 2100 से अधिक
एक्सपर्ट व्यू : एचआरसीटी से पता लगता है फैफड़ों का संक्रमण
एक्सपर्ट विशाल उदेईया का कहना है कि एचआरसीटी से संक्रमण का काफी हद तक पता लगाया जा सकता है। जिन लोगों के फेफड़ों में इन्फेक्शन होता है उनके सीटी में पता चल जाता है कि उन्हें कोरोना संक्रमण कितना है। फेफड़ों की एचआरसीटी में पच्चीस में से स्कोर दिया जाता है।
कोरोनाकाल में हुई सबसे ज्यादा जांच
निजी लैबों में एचआरसीटी की संख्या पिछले एक-डेढ़ महीने में सबसे ज्यादा बढ़ी है। पहले जहां 15 से 20 एचआरसीटी की जांच होती थी, कोरोनाकाल में यह आंकड़ा बढ़कर एक सेंटर पर औसतन 60 से 100 के बीच तक पहुंच गया। हालांकि दो-तीन दिन से यह आंकड़ा अब घटकर 60 से 70 तक पहुंच गया है।
महिपाल खेदड़, निजी लैब संचालक, सीकर
चिकित्सकीय सलाह के बाद कराए जांच
मरीजों को कोरोना को लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है। हमें सतर्क जरूर रहना होगा। यदि जांच में लक्षण आते हैं तो पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें। इसके बाद जांच कराए तो बेहतर रहेगा। कई लोग घरों में इधर-उधर से पूछकर उपचार करने लगे हैं, जबकि ऐसे दौर में विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है। यह सही है कि एचआरसीटी की संख्या इन दिनों काफी बढ़ी है।
डॉ. पीसी गर्ग, जिला सचिव, आइएमए