हाल ही में पशुपालन विभाग की बैठक में हुई समीक्षा में फतेहपुर भेड़ प्रजनन केंद्र को लेकर चर्चा हुई। बैठक में जमीन सरकार को वापस करने, भेड़ों की संख्या कम करने, कार्मिकों को दूसरी जगह भेजने पर विचार विमर्श करते हुए निर्णय लिया। केन्द्र बंद कर दिया जाता है तो स्थानीय पशुपालकों सहित प्रदेश के पशुपालकों को भारी नुकसान होगा। जानकारी के अनुसार 17 जुलाई को जयपुर में पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ शैलेष शर्मा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। बैठक में विभागीय फार्मों की समीक्षा की गई। बैठक में फतेहपुर भेड़ प्रजनन केन्द्र को छोडक़र अन्य सभी केन्द्रों में सुविधाएं बढ़ाने पर चर्चा हुई व फतेहपुर केन्द्र की सुविधाएं कम करने का प्रस्ताव लिया गया।
1973 में भारत सरकार ने खोला था केन्द्र
फतेहपुर में स्थित भेड़ प्रजनन केन्द्र की 1973 में स्थापना हुई थी। उस वक्त केन्द्र सरकार ने अपने स्तर पर बजट आंवटित करके उक्त केन्द्र की भूमि व भवन दिया था। इसके बाद वर्ष 2000 में उक्त केन्द्र को राज्य सरकार के अधीन कर दिया। तब से लेकर अब तक इसका संचालन राजस्थान सरकार के द्वारा किया जा रहा है।
विदेशी भेड़ों की नस्ल होती थी तैयार
भेड़ प्रजनन केन्द्र पर 1973 में विदेशी नस्ल के मेढ़े तैयार करने का कार्य शुरू किया गया था। रूस की मेरिनो नस्ल के मेढ़े तैयार किए जाते थे। ताकि उक्त मेढ़ों से प्रजनन कर देश में भेड़ों की नस्ल में सुधार किया जा सके।
उक्त मेरिनो नस्ल के मेढ़े सिर्फ इसी फार्म पर तैयार होते थे, इसके बाद हिसार में भी उक्त नस्ल तैयार करनी शुरू की गई तब इसी फार्म से विदेशी नस्ल के मेढ़े भेजे गए थे।
पहले 9600 हैक्टे. जमीन थी, अब 7300 हैक्टे. जमीन पर संचालित है केन्द्र
उक्त भेड़ प्रजनन केन्द्र के लिए सरकार ने वन विभाग के बीड़ को भेड़ प्रजनन केन्द्र को 99 वर्ष की लीज पर दे रखा है। उक्त वक्त कुल भूमि करीब 9600 हैक्टेयर थी। उसके बाद सरकार ने सरकारी विभागों के लिए भूमि का आंवटन कर दिया। वर्तमान में 7300 हैक्टयर जमीन भेड़ प्रजनन केन्द्र के पास लीज पर है।
यह था उद्देश्य
भेड़ प्रजनन केन्द्र पर चार नस्ल के मेढ़े व सिरोही नस्ल के बकरे तैयार किए जाते है।
उक्त मेढ़े एससी, एसटी, बीपीएल को रियायती दर पर उपलब्ध करवायें जाते थे, इसके अलावा बकरे कईयों को निशुल्क उपलब्ध करवाए जाते है। इसके अलावा नस्ल सुधार के लिए कार्य होते है।