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सरकार की दोहरी नीति बनेगी किसानों की राह में बाधा

locationसीकरPublished: Oct 07, 2019 05:43:47 pm

Submitted by:

Puran

जिले में राष्ट्रीय बीज निगम का एक भी काउंटर, जो काउंटर था उसे कर दिया बंद
निजी दुकानों पर लाइसेंस के बिना खाद-बीज की बिक्री नहीं
कैसे मिलेगा किसानों को रबी सीजन में खाद-बीज

sikar

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सीकर. किसान हित के लिए तत्पर रहने वाली सरकार की दोहरी नीति इस बार किसानों की राह में बाधक बन गई है। एक ओर सरकार निजी दुकानों पर केवल पॉश मशीन के जरिए ही उर्वरक व बीज बेचने की पाबंदी लगा रही है वहीं दूसरी और जिला मुख्यालय स्थित सीकर कृषि उपज मंडी में खोला गया राष्ट्रीय बीज निगम के एकमात्र कार्यालय लम्बे समय से बंद है। नतीजन सीकर, चूरू,झुंझुनूं व नागौर जिले के करीब आठ लाख किसानों को सरकारी अनुदान वाले विश्वसनीय बीजों से हाथ धोना पड़ेगा। हालांकि बीज निगम की ओर से कृषि उपज मंडी में काउंटर का किराया तो जमा कराया जाता है लेकिन काउंटर को नहीं खोला जा रहा है। गौरतलब है कि 1992 में तत्कालीन सांसद व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ ने सीकर में एनएससी का कार्यालय स्वीकृत कराया था।
संस्था 218, लाइसेंस केवल 80 को

रबी सीजन शुरू होने वाला और जिले में सरकारी क्षेत्र के सभी बीज काउंटर बंद है। विभाग ने जिलेभर में 218 से ज्यादा जीएसएस व केवीएसएस है लेकिन हकीकत में महज 80 संस्थानों को ही लाइसेंज जारी किए गए हैं। ऐसे में किसानों को बड़े स्तर पर बिक्री काउंटर नहीं होने से रबी सीजन में डेढ़ से दोगुना कीमत में निजी एजेंसियों का बीज खरीद कर बुआई करनी पड़ेगी। जबकि अनुदानित बीज सरकारी एजेंसी के जरिए ही किया जाएगा।
निजी क्षेत्र में कट रही जेब
एनएससी कार्यालय बंद होने से लाखों किसानों को सब्जी व उन्नत बीजों के किसानों को मजबूरन निजी क्षेत्र से बीज खरीदने पड़ रहे हैं। अनुदान पर वितरित होने वाले एकमात्र काउंटर बंद होने के कारण किसानों को परेशानी हो रही है। साथ ही जिले में नवाचार और उन्नत खेती करने वाले किसानों को इसकी जानकारी तक नहीं मिल रही है।
यह है हकीकत

एनएससी ने सीकर में प्रक्षेत्र कार्यालय को पूर्व में भी दो बार बंद करने का निर्णय किया था। वर्ष 2001 व 2015 से एनएससी के अधिकारी सीकर कार्यालय को बंद करने की कोशिश में लगे हुए हैं। उस दौरान भी तत्कालीन अधिकारियों ने बिक्री के आंकडों को कागजों में कम दिखाया, लेकिन किसानों के विरोध को देखते हुए निगम को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
इनका कहना है

यह सही है कि सरकारी संस्थाएं बीज व उर्वरक का लाइसेंस लेने में कोताही बरत रही है। लाइसेंस नहीं होने से किसानों

को बीज वितरण में परेशानी आएगी। समस्या को लेकर उच्चाधिकारियों को सूचित किया जाएगा।
एसआर कटारिया, उपनिदेशक कृषि

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